Description
Shriti Sharma ki Love Stories / Author: Ramesh Tehlani / MRP: 199 / Pages: 320
Description: श्रीति शर्मा की br>लव स्टोरीज’ उपन्यास एक मिडिल br>क्लास लड़की के सपनों के बनने, बिगड़ने और पाने के सफ़र को बयान करता है। मुम्बई के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी और बड़ी हुई बोल्ड एंड ब्यूटीफुल श्रीति शर्मा को हालात के चलते अजमेर आकर बसने और नौकरी करने को मजबूर होना पड़ा। आर्थिक संकटों व मानसिक संघर्षों के बावजूद वह अपने मिस्टर राईट को पाने का सपना सच करने के लिए कमर कसती है। पर सपने सच करना उसे देखने सा आसान कहाँ होता है, और विशेष रूप से तब, जब आपकी किस्मत ही आपके ख़िलाफ़ हो। इस सफ़र में उसे कई लाईफ चेंजिंग सबक़ मिले जिसने जीवन का नजरिया बदला। जो सबक़ उसने सीखे, उसमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी है और बेहतर जीवन के फ़लसफ़े भी। आजकल का मतलब वाला प्रेम भी है और छुपी वासना भी। आधुनिक आध्यात्म के सबक़ भी हैं और कार्पोरेट पॉलिटिक्स भी। नफ़रत की लहरें भी हैं और बदले की भावना भी।
Queen / Author: Kamini Kusum / MRP: 200 / Pages: 122
Description: नव्या इंदौर के एक प्रतिष्ठित उद्यमी परिवार की बहू है जो अपने खाली समय में उपन्यास लिखती है। जब दो उपन्यास लिखने के बाद भी उसे अपेक्षित सराहना एवं सफलता नहीं मिलती है, तब वह अपने प्रकाशक के सुझाव पर छद्म नाम से गहन प्रेम, वासना और कामुकता के रंग में रंगे उपन्यास लिखना आरंभ कर देती है। जहाँ नव्या का वैवाहिक जीवन नीरस और उदासीन है, वहीं उसका लेखन संसार बहुत ही मनोरम और प्रेममय है। छद्म नाम से लिखे गए नव्या के उपन्यास खूब सफल होते हैं और साथ ही लोगों में एक उत्सुकता भी जगाते हैं कि इस जादुई कलम की लेखिका आखिर है कौन? नव्या अपने निजी जीवन के दुखों को भूल लेखन कार्य में ही अपनी खुशी ढूंढने लगती है। बस उम्मीद का एक दिया उसके मन में हमेशा जलता रहता है कि काश एक दिन उसका वैवाहिक जीवन पटरी पर आ जाए और उसके लेखन संसार की ही तरह मधुर हो जाए। लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा? क्या नव्या की लेखनी ही उसके लिए काल बन जाएगी? क्या नव्या अपने जीवन में आने वाले भूचाल से अपने आप को बचा पाएगी?
Aur Kitni Nirbhaya / Author: Vinayak Sharma / MRP: 175 / Pages: 184
Description: प्रिया के साथ भी उस दिन वही हुआ, जो हिन्दुस्तान में प्रतिदिन औसतन 106 महिलाओं के साथ होता है, लेकिन जिस छोटे शहर से प्रिया थी, वहाँ के लिए यह बात बिलकुल नयी थी। नयी केवल इसलिए नहीं कि रेप पहली बार हुआ था; बल्कि इसलिए क्योंकि अपने शहर में रेप की खबर खुलेआम सबको पहली बार पता चली थी। उस छोटे शहर में सभी यही चाह रहे थे कि बात को दबाकर लड़की की शादी करना ज्यादा बेहतर होता। इसकी इज्जत तब नहीं गयी, जब इसका बलात्कार हुआ, प्रिया और उसके परिवार की इज्जत तो अब नीलाम हो रही है जब बात सबको पता चली है। बलात्कार के बाद प्रिया की किस्मत उसे कहाँ-कहाँ ले जाती है, लोगों से उसे क्या-क्या सुनने को मिलता है और प्रिया आखिरकार क्या करती है इन सबको बताता ये उपन्यास आपको कई हकीकतों से रू-ब-रू करवाएगा।
Sassi / Author: Rajveer Singh Prajapati / MRP: 160 / Pages: 200
Description: चाय बागानों के ढलान से उतरकर महीन खुशबू सी नौ बरस की सस्सी, जब हर रोज़ महंती बाबू से मिलती तो उनकी दी हुई चमकीली पन्नी में लिपटी लॉलीपॉप पाकर बेहद ख़ुश हो जाती। लेकिन रिवायत की शर्त के चलते उसे दार्जिलिंग से दूर हॉस्टल जाना पड़ा और इस ख़बर ने महंती बाबू को वहाँ भेज दिया जहाँ से कोई लौटकर नहीं आता। सस्सी ने उनकी याद को दिल के किसी अनजान कोने में द़फ्ना दिया। नतीजतन, उनकी शक्ल ज़ेहन में कहीं खो गई जिसे वह तमाम उम्र तस्वीरों में उकेरने की कोशिश करती रही। उम्र जवाँ हुई तो तक़दीर ने भी अंगड़ाई ली, सस्सी ने खुद को सिक्किम की बाहों में पाया। जहाँ एक फौजी अ़फसर उसकी ज़िन्दगी में शामिल तो हुआ लेकिन त़कदीर का हिस्सा न बन सका। सस्सी ने सिक्किम से दामन छुड़ाया तो दिल्ली ने हाथ पकड़ लिया। हँसता-खेलता राज उसकी ज़िन्दगी में बतौर फ्लैटमेट दा़िखल हुआ। जो एक मजबूरी का नतीजा था, और साथ ही एक ऐसा अजीबो-गरीब इत्ति़फा़क जिसकी कड़ियाँ तारी़ख में 1965 के एक नाकाम फौजी मिशन से जुडी थीं।
Janhvi / Author: Bharti Gaud / MRP: 120 / Pages: 152
Description: ‘ख्वाहिशों और सपनों में फर्क’, ‘धर्म और अध्यात्म में फर्क’, ‘प्रेम में होने और प्रेम के होने में फर्क’ की बात करता यह उपन्यास, ये सोचने पर मजबूर करता है कि जीवन जीते-जीते कब हम मरना सीख जाते हैं और जीवन से दूर होते चले जाते हैं। यह उपन्यास हमें बताता है कि वापस लौटकर आने के लिए हमें खुद के अन्दर झाँकने के अलावा और कोई विकल्प नहीं तलाशना चाहिए, सब कुछ इन्सान के अंतर्मन में ही है, वहीं मिलेगा। हमारी मदद हम खुद कर सकते हैं और अगर इस काबिल हैं तो दूसरों को भी रास्ता दिखाया जा सकता है। तलाकशुदा से प्रेम, बाल वैधव्य, बुज़ुर्गों की वर्तमान दशा-दिशा, स्वयं के ख़्वाबों का बिखराव, उनका खो जाना। व्यक्तित्व, जिसे निखारने का वादा इंसान को स्वयं से करना चाहिए, किन्तु जब यही सब बातें आरोप-प्रत्यारोप के रूप में जाह्नवी पर ही भारी पड़ने लगती हैं, तब उसका खुद से जूझना और इन सब से पार पाने का स़फर ही उपन्यास की आत्मा है। इंसान का दोहरा व्यवहार जब आइने के रूप में उसके सामने आकर उस पर लानत भेजता है, तब उसे क्या करना चाहिए?