Description
Paidal Paidal / Author: Neeraj Musafir / MRP: 175 / Pages: 192
Description: जब लेखक ने अपने एक मित्र की देखा-देखी अत्यधिक महँगी साइकिल खरीद ली, तो उनके सामने प्रश्न उठा, कि अब इसका क्या करें? यही प्रश्न धीरे-धीरे उत्तर में बदल गया, और महाशय ने आव देखा न ताव; पहुँच गए साइकिल लेकर मनाली; फिर मनाली से लेह, आगे लेह से श्रीनगर; और कुल लगभग 950 किलोमीटर की दुर्गम और कठिन यात्रा कर डाली; इसके साथ ही लोगों में फैले इस भ्रम को भी तोड़ दिया कि, दुर्गम इलाकों में साइकिलिंग, केवल विदेशी ही कर सकते हैं, भारतीय नहीं। इस यात्रा से पहले, और यात्रा के दौरान, लेखक के सामने तमाम चुनौतियाँ आर्इं। उन्होंने इन चुनौतियों का सामना किस तरह किया, यह भी कम रोचक नहीं है। यह यात्रा, वर्ष 2013 के जून महीने में तब की गई थी, जब उत्तराखंड़ में केदारनाथ त्रासदी घटित हुई थी। तब पूरे हिमालय में प्रकृति ने कहर बरपाया था। ऐसे में लद्दाख में क्या हो रहा था; एक साइकिल सवार को किन-किन प्राकृतिक व मानवीय समस्याओं का सामना करना पड़ा, और वह कैसे इनसे पार पाया; यह पढ़ना बेहद रोमांचक होगा।
Suno Laddakh / Author: Neeraj Musafir / MRP: 175 / Pages: 212
Description: सुनो लद्दाख! एक यात्रा-वृत्तान्त है, जिसमें लेखक द्वारा लद्दाख में की गई पैदल-यात्राओं, अर्थात ट्रैकिंग का वर्णन है। किताब के मुख्यत: दो भाग हैं – पहला, चादर ट्रैक, और दूसरा, जांस्कर ट्रैक। चादर ट्रैक, सर्दियों में, खासकर जनवरी और फरवरी में ही होता है। नीरज, इस ट्रैक के द्वारा यह देखना चाहते थे, कि सर्दियों में लद्दाख कैसा होता है, और वहाँ लोग कैसा जीवन यापन करते हैं। जांस्कर ट्रैक में पदुम-दारचा ट्रैक का उल्लेख है, और लद्दाख के भी सुदूरवर्ती इलाके, जांस्कर के जीवन में झाँकने की छोटी-सी कोशिश की गई है। ये यात्राएँ केवल साक्षीभाव से की गई हैं; अर्थात वहाँ जाकर अपने आसपास को देखना; बस। जो दिखा, वही लिख दिया। वहाँ के बारे में लेखक की बहुत सारी धारणाएँ थीं; कुछ खण्डित है, कुछ मजबूत है। किताब की भाषा-शैली रोचक और सरल है। इसे पढ़ते हुए आपको महसूस होगा कि आप स्वयं ही इन यात्राओं में लेखक के सहयात्री बन गए हैं। इस सहयात्रा के दौरान जैसा मनोभाव आपका होता, वैसा ही मनोभाव पुस्तक में पढ़ने को मिलेगा।
Prithvi Ke Chhor Par / Author: Dr. Sharadindu Mukerji / MRP: 150 / Pages: 240
Description: इस पुस्तक में डॉ. शरदिन्दु मुकर्जी ने, उन यात्राओं के दौरान हुए अपने विभिन्न अनुभवों को साझा किया है। जटिल वैज्ञानिक तथ्यों से बोझिल न होकर अपनी रोचकता लिये पुस्तक में वर्णित तमाम घटनाक्रम, सभी वर्ग और वय के पाठकों के लिए रोमांचक कहानी की तरह ही नहीं, बल्कि भविष्य के अभियात्रियों के लिए मार्गदर्शक की तरह भी है।