Description
सà¥à¤¨à¥‹ लदà¥à¤¦à¤¾à¤–! à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾-वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है, जिसमें लेखक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लदà¥à¤¦à¤¾à¤– में की गई पैदल-यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ टà¥à¤°à¥ˆà¤•à¤¿à¤‚ग का वरà¥à¤£à¤¨ है। किताब के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤: दो à¤à¤¾à¤— हैं – पहला, चादर टà¥à¤°à¥ˆà¤•, और दूसरा, जांसà¥à¤•à¤° टà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥¤ चादर टà¥à¤°à¥ˆà¤•, सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में, खासकर जनवरी और फरवरी में ही होता है। नीरज, इस टà¥à¤°à¥ˆà¤• के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यह देखना चाहते थे, कि सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में लदà¥à¤¦à¤¾à¤– कैसा होता है, और वहाठलोग कैसा जीवन यापन करते हैं। जांसà¥à¤•à¤° टà¥à¤°à¥ˆà¤• में पदà¥à¤®-दारचा टà¥à¤°à¥ˆà¤• का उलà¥à¤²à¥‡à¤– है, और लदà¥à¤¦à¤¾à¤– के à¤à¥€ सà¥à¤¦à¥‚रवरà¥à¤¤à¥€ इलाके, जांसà¥à¤•à¤° के जीवन में à¤à¤¾à¤à¤•à¤¨à¥‡ की छोटी-सी कोशिश की गई है। ये यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤ केवल साकà¥à¤·à¥€à¤à¤¾à¤µ से की गई हैं; अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ वहाठजाकर अपने आसपास को देखना; बस। जो दिखा, वही लिख दिया। वहाठके बारे में लेखक की बहà¥à¤¤ सारी धारणाà¤à¤ थीं; कà¥à¤› खणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ हà¥à¤°à¥à¤‡à¤‚, कà¥à¤› मजबूत हà¥à¤°à¥à¤‡à¤‚। किताब की à¤à¤¾à¤·à¤¾-शैली रोचक और सरल है। इसे पà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ आपको महसूस होगा कि आप सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही इन यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में लेखक के सहयातà¥à¤°à¥€ बन गठहैं। इस सहयातà¥à¤°à¤¾ के दौरान जैसा मनोà¤à¤¾à¤µ आपका होता, वैसा ही मनोà¤à¤¾à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में पà¥à¤¨à¥‡ को मिलेगा।
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