Description
जब लेखक ने अपने à¤à¤• मितà¥à¤° की देखा-देखी अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• महà¤à¤—ी साइकिल खरीद ली, तो उनके सामने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठा, कि अब इसका कà¥à¤¯à¤¾ करें? यही पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ धीरे-धीरे उतà¥à¤¤à¤° में बदल गया, और महाशय ने आव देखा न ताव; पहà¥à¤à¤š गठसाइकिल लेकर मनाली; फिर मनाली से लेह, आगे लेह से शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र; और कà¥à¤² लगà¤à¤— 950 किलोमीटर की दà¥à¤°à¥à¤—म और कठिन यातà¥à¤°à¤¾ कर डाली; इसके साथ ही लोगों में फैले इस à¤à¥à¤°à¤® को à¤à¥€ तोड़ दिया कि, दà¥à¤°à¥à¤—म इलाकों में साइकिलिंग, केवल विदेशी ही कर सकते हैं, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नहीं। इस यातà¥à¤°à¤¾ से पहले, और यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान, लेखक के सामने तमाम चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ आरà¥à¤‡à¤‚। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इन चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सामना किस तरह किया, यह à¤à¥€ कम रोचक नहीं है। यह यातà¥à¤°à¤¾, वरà¥à¤· 2013 के जून महीने में तब की गई थी, जब उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड़ में केदारनाथ तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ घटित हà¥à¤ˆ थी। तब पूरे हिमालय में पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ ने कहर बरपाया था। à¤à¤¸à¥‡ में लदà¥à¤¦à¤¾à¤– में कà¥à¤¯à¤¾ हो रहा था; à¤à¤• साइकिल सवार को किन-किन पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• व मानवीय समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का सामना करना पड़ा, और वह कैसे इनसे पार पाया; यह पà¥à¤¨à¤¾ बेहद रोमांचक होगा।
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