Description
Beri Good stories / MRP: 225 / Pages: 184
Description: राजेश बेरी की यह रचनाएँ मध्यम वर्ग की रूह का दर्शन हैं। हर भारतीय, पाकिस्तानी, नेपाली, बांग्लादेशी जिस हाल में रहता है, रह चुका है या रहेगा, इसी में बविवश वलवले लेता है इसी में पुरातन की आत्मा का संदेश नवीनता में घुलता है। राजेश बेरी के पात्र, डायलाग इस संघर्ष को बेहद कुशलता से उजागर करते हैं। यही जादू तो किताब को हाथ से अलग होने ही नहीं देता। इनकी कहानियों से समाज को एक नई ऊर्जा मिलती है। नैतिक शिक्षा से भरपूर ऐसी ही कहानियों की आज हमारे समाज को ज़रूरत है। राजेश बेरी जी की कहानियों में एक अलग तरह की सादगी और अपनेपन का एहसास होता है। जिन मोरल वैल्यूज और एथिक्स को आज की पीढ़ी भूलती जा रही है उसकी याद बीच बीच में राजेश जी कहानियाँ दिलाती रहती हैं। रिश्तों की मिठास को, ज़िंदगी जीने के एहसास को, राजेश जी ने अपनी कहानियों में बहुत ख़ूबसूरती से बयान किया है। सबसे उम्दा बात उनकी कहानियों की ये है कि हर कहानी आपको एक नयी उम्मीद की रौशनी के साथ जोड़ती है।.
Prem Bhanwar / MRP: 200 / Pages: 116
Description: गोवा के एक होटल में एक लड़की की लाश और एक लड़का जिसकी बस साँसें चल रही थीं वो भी किसी भी वक़्त रुकने जैसी, मिलते हैं! पुलिस के पहुँचने के बाद जो कहानियाँ एक के बाद एक पुलिस को सुनायी जाती हैं वो सब की सब सच्ची मालूम होती हैं.. मगर सच तो उन कहानियों से अलग हक़ीक़त के एक संदूक़ में बंद होता है जिसे खोलने में पुलिस को कितने ही फ़रेबों के दायरों को तोड़ना पड़ता है। अस्ल में ये कहानी प्रेम के समन्दर में उठने वाले ऐसे भँवर की है जिसे एक अनजाने ने जन्म दिया और फिर उसकी क़ीमत किसी को अपनी मौत से चुकानी पड़ी। इस उपन्यास में डर है, सपने हैं, लालच है, सिलवटें हैं, दायरे हैं और प्रेम का ऐसा भँवर है जिससे कम ही लोग बच के निकल पाते हैं।
Vardhman Haveli / MRP: 200 / Pages: 122
Description: रामपुर के जंगलों में बनी तक़रीबन 500 साल पुरानी वर्धमान हवेली, अपने अन्दर बहुत राज़ छुपाये हुए थी। उस हवेली को ख़रीदने-बेचने का लालच और उसके आसपास बसे जंगलों में ग़लत व्यापार करने वाले लोगों को कितनी बड़ी सज़ा और किस रहस्मयी ढंग से एक के बाद उससे जुड़े लोग मरने लगते हैं ये सब इस उपन्यास में है। एक प्रेमिका जो कई जन्मों से अपने प्यार को पाने के लिए तड़प रही है क्या उसे इस जन्म में अपना प्यार हासिल होगा और वो अपने प्यार को पाने के लिए किस हद तक चली जायेगी, कितने लोगों को मौत के किनारे लगा देगी ये सब है वर्धमान हवेली नामक इस रोमांचक उपन्यास में ।
Kaha Gya Mera Veer (From the writer of Sarabjit) / MRP: 225 / Pages: 168
Description: यह किताब दलबीर कौर को श्रद्धांजलि की तरह है, उनका जीवन, उनका संघर्ष, उनके परिवार के लिए उनका निःस्वार्थ बलिदान जो स्वपनदीप का में उनकी ताकत थी मेरी बुआ “दलबीर कौर” लोग उन्हें एक मज़बूत शख़्सियत और एक आयरन लेडी कहते थे। वो बहुत नर्म दिल थीं। हमारे पिता जी के बाद वही थीं जो हमारे हर अच्छे बुरे वक़्त में हमारे साथ हमेशा खड़ी रहीं। पापा के लिए उन्होंने हर एक मुमकिन कोशिश की। अपनी आख़िरी साँस तक उन्हें बस अपने परिवार और अपने भाई की ही चिंता रही। स्वपनदीप (दलबीर कौर की भतीजी) सबके जीवन में कभी ना कभी एक ना एक ऐसा शख़्स ज़रूर आता है जिसकी सोहबत में वो प्यार और रिश्तों को निभाने के तरीक़ों को समझ पाता है । मेरे जीवन में वो इंसान था मेरी वाइफ़ की बुआ जी दलबीर कौर। वो ख़ुद में सब कुछ थीं, एक बहन, एक माँ, एक बाप, और बुआ…. उन्होंने ये सारे फ़र्ज़ निभाये। अपने भाई के लिए वो दो देशों की सरकारों से लड़ीं, अपने भाई के परिवार को एक पिता की तरह सँभाला… दुनिया की आफ़तों से बचाकर रखा.. हर छोटी-बड़ी ज़रूरत का ध्यान रखा। जितनी केयर और प्यार उनसे मिला शायद असली माँ-बाप से भी नहीं मिलता। वो अपनी भाभी के लिए एक सच्ची दोस्त थीं, उन्होंने सब तरह उन्हें सँभाल कर रखा। पूरे परिवार को संजोये रखा। उनकी ज़िन्दगी अपने भाई और उनके परिवार से शुरू होकर उन्हीं पर ख़त्म हो गयी। मेरी दुआ है भगवान हर भाई को ऐसी बहन दे… हर परिवार को ऐसी बेटी दे… ऐसी बुआ दे.. संजय (स्वपनदीप के पति दलबीर कौर के दामाद)