Description
Kalkikaal Katha Part 1: Samyant Rahasya
यह कल्पितमाला विज्ञान, धर्म, पौराणिक संदर्भों तथा हिन्दू सभ्यता के रहस्यों के मोतियों को एक साथ पिरोकर लिखी गयी है। कथानक का मुख्य पात्र कल्कि, मानव-जाति को दिया गया ईश्वर का वह आशीर्वाद है जो दूसरे ग्रह के उर्ग्य प्रजाति द्वारा पृथ्वी पर किए गए अब तक के सबसे भयानक, विध्वंसक व विनाशकारी आक्रमण के खिलाफ लड़ रहा है । अपनी अंतिम साँसों को गिनती हुई घायल पृथ्वी तथा मानवजाति को बचाने के उद्देश्य में, कल्कि रोमांच-रहस्यों से भरी, मस्तिष्क को झकझोर देने वाली एक ऐसी रहस्यमय यात्रा पर चल पड़ता है जहाँ मृत्यु से भरे हुए पहेलीनुमा पथ के प्रत्येक पग पर अनिश्चितता छुपी हुई है। अपनी इस यात्रा में वह पृथ्वी पर उपस्थित सबसे करिश्माई व्यक्तियों से मिलता है, अनजान व विचित्र स्थानों पर जाता है तथा विचारों से भी परेय रहस्यों को सुलझाता है। रहस्य-रोमांच से भरी यह अभूतपूर्व गाथा पाठक के रोमांच व जिज्ञासा को एक पल के लिए भी चैन की साँस नहीं लेने देगी।
Kalkikaal Katha Part 2: Tripund Kakshah
हाथों पर आड़ी तिरछी रेखाएँ तो विधाता ने सबके ही हाथों में खींची हैं लेकिन उनको इच्छानुसार बदलने वाली तकदीरें लेकर सिर्फ कुछ ही लोग पैदा होते हैं। ऐसा ही महामानव है– कल्कि, जो तकदीर को भी बदलने की क्षमता रखता है। आयामों की भूलभुलैया, समय चक्र में विकृति, सुसुप्तावस्था से जाग्रत विचित्र नरभक्षी जीव तथा अधमृत जानवरों के झुण्ड को झेलते हुए कल्कि की रोमांच, रहस्यों व अनिश्चितताओं से परिपूर्ण यह गाथा आपको एक ऐसे रोलर कोस्टर रुपी ख्यालों के बवंडर में ले जाएगी जो आँखों के सामने साक्षात् नरक प्रकट कर देगी। क्या कल्कि भारतीय सभ्यता के महान सप्त चिरञ्जीव की सहायता से इस भीषण संकट का सामना कर पायेगा? आयामों के दरमियान फँसी परम कुंजी को खोज पायेगा? रहस्यमयी नगरी ज्ञानाश्रम, पवित्र कैलाश पर्वत व विध्वंसकारी ब्रह्मास्त्र के सत्य से पर्दा उठा पायेगा? क्या होगा जब साढ़े तीन हजार वर्षों के बाद अश्वत्थामा फिर से युद्ध के मैदान में उतरेगा? इन प्रश्नों के अकल्पनीय व अविश्वसनीय उत्तर निश्चित ही आपकी न्यूरोलॉजिकल दिलचस्पी को उच्चतम स्तर पर ले जायेंगे।
Kalkikaal Katha Part 3: Tandav Stuti
कोई मसीहा कहता है तो कोई अवतार, लेकिन सच यह है कि मुसीबत में हम मानव ही किसी एक मानव में ईश्वर को खोजने लगते हैं और उससे उम्मीद करते हैं कि वह सारी मुसीबतों का हनन कर दे। जब वह मानव ऐसा कर देता है तो आने वाली पीढ़ियों में मानव रूपी भगवान के नाम से जाना जाता है, अवतार या मसीहा के नाम से जाना जाता है। यह कहानी है एक ऐसे ही अवतार की जो तकदीर को भी बदलने की क्षमता रखता है। घायल पृथ्वी तथा रक्तरंजित मानवजाति को बचाने की इस अविस्मरणीय यात्रा में आप कल्कि नामक एक ऐसे नायक के उदय का गवाह बनेंगे जो अतीत व भविष्य की दिशा बदल देगा। मस्तिष्क को झकझोर देने वाली अकल्पनीय व अविश्वसनीय घटनाओं तथा किंवदंतियों से परिपूर्ण इस कहानी में आयामों की भूल-भुलैया में खो चुकी परम कुंजी ही महासंकट को खत्म करने का जरिया होगी। मानव सभ्यता के विभिन्न युगों के रहस्यमय पात्रों की सहायता से परम कुंजी को प्राप्त करने के लिये कल्कि को साक्षात समय से लड़ना होगा और ऐसी रहस्यमयी दुनिया पर विजय पाना होगा जहाँ भौतिकी के नियम भी आत्म-समर्पण कर देते हैं। प्रकृतिका कानून अटल है, निर्णय अटल है। उसके खिलाफ ना कोई सुनवाई है और ना कोई पुनर्विचार अर्जी। प्रकृति की गतिविधियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया तो मृत्यु ताण्डव निश्चित है। विज्ञान तथा पौराणिक कथाओं के प्रशंसकों के लिए रचित इस अभूतपूर्व गाथा में भाग्य के चौराहे पर खड़ी पृथ्वी व मानवजाति का भविष्य किस दिशा में जायेगा? आयामों की विकृति को पार कर, क्या कल्कि अनदेखे-अनकहे भीषण संकट का सामना कर पाएगा? चिरंजीवी समूह क्या एलियन प्रजाति को विनाशकारी पथ पर जाने से रोक पाएगा? प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जाकर क्या तक़दीरें बदलना मुमकिन है?