Description
इस किताब में राहत साहब का ताज़ा कलाम मौजूद है। राहत साहब की ज़िनà¥à¤¦à¤—ी का ये आख़िरी शेरी मजà¥à¤®à¥‚आ है। इसके बाद अब उनकी लà¥à¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤à¤¹à¥€ मंज़रे-आम पर आयेगी। राहत साहब के चाहने वालों के लिठये à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ बदनसीब कलाम है, जिसे उनकी मरà¥à¤¦à¤¾à¤¨à¤¾ आवाज़ का लà¥à¤¤à¥à¥ž ना मिल सका।
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