Description
सीमा पर खड़े जवान à¤à¥€ हाड़ माà¤à¤¸ के बने इंसान ही होते हैं, जिनमें हम समय बेसमय देवतà¥à¤µ का आरोपण करते हैं। इतà¥à¤¤à¥‡à¤«à¤¾à¤• से समाज जब साहितà¥à¤¯ रचता है तो ये जवान सिरà¥à¤« नायक होते हैं, जहाठये दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥‹à¤‚ से लड़ते हैं, उनके छकà¥à¤•à¥‡ छà¥à¥œà¤¾à¤¤à¥‡ हैं, फिर नà¥à¤¯à¥‹à¤›à¤¾à¤µà¤° हो जाते हैं उस माटी की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ में जिससे अपना तन माà¤à¤œà¤¤à¥‡ हà¥à¤ यहाठतक पहà¥à¤à¤šà¥‡ होते हैं। इस तरह उनकी निजी जिंदगी, संघरà¥à¤·, मानसिक अवसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ और वो दà¥à¤µà¤‚दà¥à¤µ कहीं किनारे पर ही छूटा रह जाता है, इस इंतजार में कि कà¤à¥€ उस आम जिंदगी की तरफ à¤à¥€ कोई नजरें इनायत करेगा। पता नहीं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ समाज सिरà¥à¤« और सिरà¥à¤« शहादतों को खोजता है, समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ करता है फिर मसà¥à¤¤ हो जाता है। आम जिंदगी और साहितà¥à¤¯ में फ़ौज में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ होने वाले तमाम यà¥à¤µà¤•, और उनका संघरà¥à¤· हाशिठपर ही रह जाता है। इस तरह जिनके संघरà¥à¤·à¥‹à¤‚ को महतà¥à¤¤à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जाती है वो पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤• होते हैं, नेता होते हैं, या कà¥à¤› और à¤à¥€à¥¤ साहितà¥à¤¯ जगत ने आईà¤à¤à¤¸, à¤à¤¸à¤à¤¸à¤¸à¥€ के तैयारी में लगे यà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ के संघरà¥à¤· गाथा को बखूबी चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया है। किसानों की जिंदगी à¤à¥€ साहितà¥à¤¯ सिनेमा का à¤à¤¾à¤— रही है। पर à¤à¤• सिपाही की जिंदगी, पता नहीं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ सी रह जाती है! संघरà¥à¤· तो उसका à¤à¥€ होता है न! à¤à¤• और बहà¥à¤¤ ही मजेदार चीज जो है वो यह कि यतà¥à¤°-ततà¥à¤° बिखरे हà¥à¤ यौन रोगों, गà¥à¤ªà¥à¤¤ रोगों के इलाज के दावे करते पà¥à¤°à¤—ट विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨, और पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं के खà¥à¤²à¥‡ हà¥à¤ पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ पर बिखरी हà¥à¤ˆ गà¥à¤ªà¥à¤¤ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का निदान। किसी à¤à¥€ तरह के यौन शिकà¥à¤·à¤¾ से मरहूम तरà¥à¤£ मन जब इन पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ पर, विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ पर नजरें फेरता है तो तरह तरह के गà¥à¤ªà¥à¤¤ जाले मन के अंदर जम जाते हैं। फिर मकड़ी की तरह उसका मन तमाम दà¥à¤µà¤‚दà¥à¤µà¥‹à¤‚ के मधà¥à¤¯ उलठकर रह जाता है। बेचारे हकीम साहब अपने विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ में किसी अबूठसे पते को दरà¥à¤œ करके चले जाते हैं और साला मन जो है वहमों में उलठजाता है। कथा का नायक आज का नहीं है। उस नायक का बचपन आज से दो तीन दशक पूरà¥à¤µ का है, जब गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² होते गाà¤à¤µ वैशà¥à¤µà¤¿à¤• होने के साथ तमाम गà¥à¤¤à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ उलठरहे थे। मà¥à¤—लसराय से लेकर पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—राज तक, या किसी à¤à¥€ रेलखंड पर चले जाइà¤, वो जो लाल लाल दीवालों के उपर सफ़ेद चूने से लिखे हà¥à¤ विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ होते हैं न, वो कà¤à¥€ न कà¤à¥€ आप सà¤à¥€ के मन पर कोई गà¥à¤ªà¥à¤¤ चितà¥à¤° अवशà¥à¤¯ बनाये होंगे। इस तरह अà¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में रेलवे लाइन के किनारे विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ लिखते ये दिमाग जरà¥à¤° सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सेलà¥à¤¸ मैन और मारà¥à¤•à¥‡à¤Ÿà¤¿à¤‚ग वाले दिमाग होंगे। जो गाहे ब गाहे किसी को à¤à¥€ गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤• बना लेने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ रखते हैं। खैर यह किसà¥à¤¸à¤¾ à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ यà¥à¤µà¤• की है जो सामानà¥à¤¯ पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि से है। यह यà¥à¤µà¤• जूà¤à¤¤à¤¾ है, फिर जीतता है। बà¥à¤°à¥‚नो का à¤à¤• कथन है कि “मैं जूà¤à¤¾ हूठयहीं काफी हैâ€; तो यह यà¥à¤µà¤• à¤à¥€ केवल जूà¤à¤¤à¤¾ है। फिर वो जीतता है कि नहीं यह तो उस समाज के मतà¥à¤¥à¥‡ है जो उसे कà¤à¥€ करमनासा की उपाधियों से विà¤à¥‚षित करता है।
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