Papa Kehte hain

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Description

ये कहानी है । प्यार की गहराइयों की । बेवफाई की । दोस्ती की । शत्रुता की । जो की आप को किताब से जोड़ती है । ये आपको प्यार में जलते राघव से मिलाती है ।और निधि के सचे प्यार की कहानी है ये। लेखक आप को वंश के अहंकारी सवरूप से भी मिलाता है। और ये सच्ची दोस्ती की भी कहानी है ।
इस कहानी में शहर के साथ आप को गांव की मिट्टी से ले कर उनकी जाती प्रथा और उसके ढोंग को भी ये दर्शाती है । उनके रीति रिवाज भी इस कहानी में मिलते है । साथ में छोटी जाती के अलग मंदिर है और बड़ी जाती के अलग मंदिर है । लेखक उन पर तंज भी कसता है । पर कोई कुछ भी कहे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है ।
ये कहानी है निधि के सच्चे प्यार की जो उसे कहानी के अंत में मिल पाता है ।
ये कहानी राघव की है । जो की अपने को खड़ा करता है । वो इस लिए की निधि से बराबरी कर सके ।और वो सफल हो जाता है ।
उपन्यास में कोई लाग लपेट नही है कहानी धीरे धीरे अपनी जगह बनाती है । और अंत में दिल में उतर जाती है । अति भावनात्मक कहानी है और बड़ी ही तेजी से चलती है । शायद लेखक भी लिखते हुए देखना चाहता हो की अंत कैसा है । कहानी में निधि राघव से बेवफाई कर देती है और उसी ताने बाने में कहानी घूमती रहती है । पर कहते है एक बार की गलती तो भगवान भी माफ कर देते है । तो हम नही कर सकते है क्या ? आखिर हम उनकी की ही तो संतान है । पर कहानी का नायक तो बस छोटी सी बात को पकड़ कर जलता रहता है । जब तक उसे अपनी गलती का पता चलता है बहुत देर हो चुकी होती है।

Book Details

Weight 240 g
Dimensions 0.6 × 5.5 × 8.5 in
ISBN

9789390944620

Edition

First

Pages

192

Binding

Paperback

Language

Hindi

Author

Yogesh Kumar

Publisher

Redgrab Books

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