Description
“मेरी कलम से
किसी à¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° या समाज में रहने वाला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° या समाज की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ हेतॠअपना कà¥à¤› न कà¥à¤› योगदान अवशà¥à¤¯ करता है। मैंने à¤à¥€ अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¨ हेतॠअपनी रचनाओं के माधà¥à¤¯à¤® से समाज को जागरूक à¤à¤µà¤‚ लोगों को अपनी कमियों को दूर कर à¤à¤• सशकà¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ को फलीà¤à¥‚त होने के लिठअपनी कविता संगà¥à¤°à¤¹ “”कहीं ये हà¤à¤¸à¥€ तेरा गम तो नहीं”” रूपी पौधशाला तैयार किया है। मेरी इस पौधशाला (कविता संगà¥à¤°à¤¹) में विविध पà¥à¤°à¤•ार के पौधों (कविताओं) का रोपण इस कामना के साथ किया है कि ये पौधे जिस बाग में à¤à¥€ वृकà¥à¤· का रूप धारण करेंगे वहाठसà¤à¥€ को समान रूप से अपने गà¥à¤£à¥‹ से लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ करेंगे।
जो आà¤à¤–ों में है चेहरे पर नहीं है।
कहीं ये हà¤à¤¸à¥€ तेरा ग़म तो नहीं है।।”
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