Description
पिछले 15 वर्षों में देश की हिन्दू मुस्लिम एकता को बड़ा आघात लगा है, जो ज़ख्म 15 अगस्त 1947 को भर गए थे, वो जख्म फिर से हरे हो गए और देश मे चारो तरफ धार्मिक उन्माद पैदा हुआ। गांधी जिसने अपना पूरा जीवन दक्षिण अफ्रीका में ही नही भारत के 75 वर्षों में देश का एक एक गांव, एक एक शहर वो गए है और अहिंसा, शांति इसको फैलाने का काम किया है। इन बीते वर्षों में देश मे सैकड़ो गांधीवादी संस्थाए खड़ी हुई, पनपी लेकिन उन संस्थाओं में अब दीमक लगने लगी है और गांधी पर प्रश्न चिन्ह लगाए जाने लगे है। जिस गांधी को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना नेता माना औऱ ब्रिटेन अमेरिका में हज़ारों गांधी की मूर्तियां स्थापित हुई। जिस नेता ने भी अपने देश को आज़ाद करवाने में अग्रिम भाग अदा किया उसे गांधी के नाम से पुकारा जाने लगा। दक्षिण अफ्रीकन गांधी, अमेरिकन गांधी लेकिन देश मे साम्प्रदायिक सद्भाव की कमी आने लगी है औऱ दंगे भड़क रहे है तब ये उचित है कि गांधी उनके व्यक्तित्व, उनका परिवार, उनका जीवन इन सब पर नए सिरे से मूल्यांकन होना चाहिए, बस यही एक उद्देध्य था कि मैंने इस किताब का लिखना प्रारम्भ हुआ और इसकी एक प्रति गांधी जी की पोती तारा गांधी को भिजवाई, जिसे उन्होंने सामयिक माना।
Reviews
There are no reviews yet.
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.