Description
“अनà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ के आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• सतह से निकली ये पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ आग में परिशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¤ सोने की तरह है। लंबे अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ के अनà¥à¤à¤µ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ तथा देश के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤‚तों में कारà¥à¤¯ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ जो अनà¥à¤à¤µ मेरे मन में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¥‡ गये वे कविता का रूप लेते गये।
आज का परिवेश अनेक समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को लेकर आलोड़ित हो रहा है। देश के यà¥à¤µà¤¾ à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ सा हो रहे हैं। अपनापन, à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾, देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤• आलोकित करती ये कविताà¤à¤ आने वाले समय में मिल का पतà¥à¤¥à¤° साबित होंगी।
छातà¥à¤°-छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं के जीवन को और उनके जीवन शैली को हमे अतà¥à¤¯à¤‚त ही समीप से देखने परखने का सà¥à¤…वसर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† है और उनकी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को à¤à¤• सही दिशा मिले और वे अपने को विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के उनà¥à¤®à¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ से अलग रखकर देश के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हो जाà¤à¤à¥¤ इस दिशा में मेरी ये रचनाà¤à¤ बहà¥à¤¤ ही महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚गी।
आज के यà¥à¤µà¤¾ वरà¥à¤— अपने माता-पिता से à¤à¤• अपरोकà¥à¤· दूरी बनाये रखते हैं जो कि किसी à¤à¥€ तरह से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और संसà¥à¤•à¤¾à¤° को सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ नहीं करते। माà¤-बाप के पà¥à¤¯à¤¾à¤° और समीपता को याद दिलाती ये कविताà¤à¤ बालकों के मन में पतà¥à¤¥à¤° पर à¤à¤• अनमिटे लकीर की तरह साबित होंगी।
धरà¥à¤® के नाम पर à¤à¥‡à¤¦-à¤à¤¾à¤µ के बढ़ते वैमनà¥à¤¯à¤¤à¤¾ रूपी काले बादल को सूरà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की तरह पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤®à¤¯ कर देंगी। जहाठसे अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ छट जायेगा और जीवन में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ ही पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जायेगा।
आज की यà¥à¤µà¤¾ पीढ़ी का जीवन सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥‚ रूप से चले और आदरà¥à¤¶ का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ बने, इस दिशा में वसà¥à¤‚धरा पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¤à¥€ à¤à¤• अनमोल रचना है। इसमें संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और संसà¥à¤•à¤¾à¤° के महतà¥à¤µ पर बहà¥à¤¤ ही अधिक बल दिया गया है तथा दूसरी ओर रà¥à¤¢à¤¼à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¤¾ पर करारा पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° किया गया है। इसका बीजारोपण अगर बालकों के मन में अंकà¥à¤°à¤¿à¤¤ हो जाठतो वह आदरà¥à¤¶ की सारी परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤“ं में बहà¥à¤¤ ही वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¤¤à¤¾ के साथ सौंदरà¥à¤¯ को अपने दिन-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ के जीवन में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर पायेगा।
हृदय गहराइयों से निकली ये कविताà¤à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के सामाजिक ढाचा को गढ़ने में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ साबित होंगी। इसमें अपने धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ को मानने की आजादी तो है, मगर देश से बढ़कर कोई धरà¥à¤® नहीं है। परोपकार और मानवता से बढ़कर कोई महानता नहीं है। रूढ़िवादिता के जंजीरों से मà¥à¤•à¥à¤¤ करने की कलà¥à¤·à¤¿à¤¤ मानसिकता तोड़ती ये पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• “वसà¥à¤‚धरा पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¤à¥€â€ जरूर पढ़ें और अपने बालक-बालिकाओं को पढ़ने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करें। आपकी पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ और हमारा परिशà¥à¤°à¤® à¤à¤• साथ मिलकर नये à¤à¤¾à¤°à¤¤ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारà¥à¤¯ करेगा।”
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