Description
“इस “तमिसà¥à¤°à¤²à¥‹à¤• की छलनायें†नामक कृति में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ विचारों का आशय
सिरà¥à¤« यह है कि जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤°à¥‚पी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पर अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अंधकार, आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ न हो पाये।
देश में गाà¤à¤§à¥€ जी का सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨, आवासहीन गरीबों को कà¥à¤Ÿà¤¿à¤°à¥‡à¤‚, à¤à¤µà¤‚
à¤à¤•à¤²à¤µà¥à¤¯ आवासीय विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ का विचार सरीखे मनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ होकर à¤à¥€
वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• रूप में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿, समाज, अथवा पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन के किसी अंग दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कहीं
छल न जायें। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ “सरà¥à¤µà¥‡à¤à¤µà¤¨à¥à¤¤à¥ सà¥à¤–िनः†की कामना पूरà¥à¤£ होना संà¤à¤µ नहीं,
तथापि वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°, बेरोजगारी, महिला उतà¥à¤ªà¥€à¤¡à¤¨, धरà¥à¤® जाति अरà¥à¤¥ मूलक
हीनता आधारित असमानता, कृषक, मजदूरों का शोषण- उतà¥à¤ªà¥€à¤¡à¤¼à¤¨ à¤à¤µà¤‚ नशा
सरीखी विदà¥à¤°à¥‚पताओं का उनà¥à¤®à¥‚लन तो अवशà¥à¤¯ संà¤à¤µ है। उकà¥à¤¤ रचना के माधà¥à¤¯à¤® से
देश को समà¥à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¥‡ à¤à¤µà¤‚ उसकी नैषà¥à¤ िक चौकीदारी करने की अपेकà¥à¤·à¤¾ की गई है।
यह दायितà¥à¤µ हम सà¤à¥€ का है, न कि à¤à¤• नायक का, इस कृति का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯
महज देशवासियों को जागरूक करना है, किसी के मान-समà¥à¤®à¤¾à¤¨ को आहत करना
रंचमातà¥à¤° नहीं।”
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