Description
चाय बागानों के ढलान से उतरकर महीन खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ सी नौ बरस की ससà¥à¤¸à¥€, जब हर रोज़ महंती बाबू से मिलती तो उनकी दी हà¥à¤ˆ चमकीली पनà¥à¤¨à¥€ में लिपटी लॉलीपॉप पाकर बेहद ख़à¥à¤¶ हो जाती। लेकिन रिवायत की शरà¥à¤¤ के चलते उसे दारà¥à¤œà¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग से दूर हॉसà¥à¤Ÿà¤² जाना पड़ा और इस ख़बर ने महंती बाबू को वहाठà¤à¥‡à¤œ दिया जहाठसे कोई लौटकर नहीं आता। ससà¥à¤¸à¥€ ने उनकी याद को दिल के किसी अनजान कोने में द़फà¥à¤¨à¤¾ दिया। नतीजतन, उनकी शकà¥à¤² ज़ेहन में कहीं खो गई जिसे वह तमाम उमà¥à¤° तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ में उकेरने की कोशिश करती रही। उमà¥à¤° जवाठहà¥à¤ˆ तो तक़दीर ने à¤à¥€ अंगड़ाई ली, ससà¥à¤¸à¥€ ने खà¥à¤¦ को सिकà¥à¤•à¤¿à¤® की बाहों में पाया। जहाठà¤à¤• फौजी अ़फसर उसकी ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में शामिल तो हà¥à¤† लेकिन त़कदीर का हिसà¥à¤¸à¤¾ न बन सका। ससà¥à¤¸à¥€ ने सिकà¥à¤•à¤¿à¤® से दामन छà¥à¥œà¤¾à¤¯à¤¾ तो दिलà¥à¤²à¥€ ने हाथ पकड़ लिया। हà¤à¤¸à¤¤à¤¾-खेलता राज उसकी ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में बतौर फà¥à¤²à¥ˆà¤Ÿà¤®à¥‡à¤Ÿ दा़िखल हà¥à¤†à¥¤ जो à¤à¤• मजबूरी का नतीजा था, और साथ ही à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ अजीबो-गरीब इतà¥à¤¤à¤¿à¤¼à¤«à¤¾à¤¼à¤• जिसकी कड़ियाठतारी़ख में 1965 के à¤à¤• नाकाम फौजी मिशन से जà¥à¤¡à¥€ थीं।
Reviews
There are no reviews yet.
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.