Description
मेरे मन में à¤à¤• और डर उपजने लगा था। शायद उसके मन में à¤à¥€à¥¤ डर था à¤à¥€ । है à¤à¥€ । जिस जनà¥à¤®à¤à¥‚मि से तालà¥à¤²à¥à¤• रखते हैं, उसे à¤à¤¸à¥‡ ही तो देव à¤à¥‚मि नहीं कहते । हमारा सच, सच नहीं रह जाà¤à¤—ा मगर …..ईजा-बौजà¥à¤¯à¥ का मेरे लिठउठाया कषà¥à¤Ÿ …..अब तकलीफों में जीना । हमारे कल का सच बन जाà¤à¤—ा । जिस रासà¥à¤¤à¥‡, उमà¥à¤° के दौर से वो गà¥à¤œà¤° रहे हैं, उसी से हमें à¤à¥€ गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ है । लकड़ी à¤à¤• सिरे से जलती है, तो दूसरे सिरे तक पहà¥à¤à¤š जाती है । उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परेशानियों में बहाये आà¤à¤¸à¥à¤“ं का हिसाब देना पड़ सकता है । दà¥à¤†à¤à¤, दवाओं से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कारगर साबित होती हैं । उनका दिया शà¥à¤-आशीष ही हमें à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिठताकत देगा । कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बेल बà¥à¥‡ तो तना और वंश बà¥à¥‡ तो जड़ जाग गई ही कहते हैं, अपने यहाठ। पहाड़ों में बसी इषà¥à¤Ÿà¤¦à¥‡à¤µà¥‹à¤‚ की थात हà¥à¤ˆ । हमारी उनसे जà¥à¥œà¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ । विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ अटूट ठहरा । उनमें होने वाली पà¥à¤•à¤¾à¤° बेकार गई हो, à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾ नहीं । इन परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं को पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ आडमà¥à¤¬à¤°, ढोंग कहकर कà¥à¤› समय तक à¤à¥‚ला जा सकता है, मगर हमेशा के लिठà¤à¥à¤²à¤¾ देना …..इतना आसान …..मà¥à¤®à¤•à¤¿à¤¨ है ?
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