Description
यह कथा है उस समय की, जब à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· कई छोटे–छोटे राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मे बà¤à¤Ÿà¤¾ हà¥à¤† था। कई कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ राजा, उन राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर शासन करते थे, और उन सबका अगà¥à¤† था, सबसे बड़े राजà¥à¤¯ ‘वीरà¤à¥‚मि’ का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ, करà¥à¤£à¤§à¥à¤µà¤œà¥¤ यह कथा है वीरà¤à¥‚मि राजà¥à¤¯ की निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ बसà¥à¤¤à¥€ में अपने काका के साथ रहने वाले à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ पà¥à¤¤à¥à¤° रà¥à¤¦à¥à¤° की – à¤à¤• योदà¥à¤§à¤¾, जो पहले अपनी बसà¥à¤¤à¥€ का अधिपति बना है, और फिर पड़ोसी राजà¥à¤¯, राजनगर पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ करके अपने अदà¥à¤à¥à¤¤ पराकà¥à¤°à¤® à¤à¤µà¤‚ साथी योदà¥à¤§à¤¾à¤“ं के सहयोग से उसने यà¥à¤¦à¥à¤§ में विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की। इसके बाद अपने मितà¥à¤°à¥‹à¤‚, विपà¥à¤²à¤µ, विनायक और कौसà¥à¤¤à¥à¤ के सहयोग से रà¥à¤¦à¥à¤° ने वो यà¥à¤¦à¥à¤§ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥‚ किया जो, अगले पाà¤à¤š वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक अनवरत चलता रहा, जिसमें उसने बीस कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जीता। रà¥à¤¦à¥à¤°, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¥‹à¤§ की आग में जलता हà¥à¤† आगे बà¥à¤¤à¤¾ रहा, और à¤à¤• दिन à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· का सबसे शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बना। परनà¥à¤¤à¥ उसका निरंतर आगे बà¥à¤¨à¥‡ वाला विजयरथ, देवगॠविजय के बाद ठहर जाता है, और इस ठहराव का कारण है देवगॠकी राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾à¥¤ रà¥à¤¦à¥à¤° का विजय अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ पूरा हो चà¥à¤•à¤¾ था, परनà¥à¤¤à¥ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने रà¥à¤¦à¥à¤° को, वीरà¤à¥‚मि राजà¥à¤¯ के समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ करà¥à¤£à¤§à¥à¤µà¤œ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤• अंतिम यà¥à¤¦à¥à¤§ लड़ने के लिठविवश कर दिया। कà¥à¤¯à¤¾ था उस अंतिम यà¥à¤¦à¥à¤§ का कारण? कà¥à¤¯à¤¾ सिरà¥à¤« बसà¥à¤¤à¥€ के निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ लोगों के लिये ही रà¥à¤¦à¥à¤° इतने कठिन à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¯à¤‚कर यà¥à¤¦à¥à¤§ लड़ रहा था, या रूदà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¥‹à¤§ का कोई अनà¥à¤¯ कारण à¤à¥€ था?
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