Description
“किताब के अन्तिम कवर पृष्ठ हेतु:
‘‘एक इंसान की ढेरो कहानियाँ होती हैं। एक कहानी में अनेको इंसान हो सकते हैं। हर कहानी किसी न किसी सच से होकर गुजरती है। ऐसे सच जो कहीं दबे, अनसुने, अनकहे रह जाते हैं। ऐसे सच को कहानियों के रूप में कागज पर उतारना ठीक वैसे ही है जैसे किसी के बीते कल को उसी अहसास के साथ दोबारा जीना। भले उनमें कल्पनाओं की उड़ान और अतिश्योक्ति के रंग भरे हों, बावजूद इसके ये कहानियाँ ही हैं जो वर्तमान को अतीत से मिलाती हैं। अतीत की गहराईयों में झांककर मैंने भी कुछ कहानियां बाहर निकालने का प्रयास किया है। इन कहानियों का हर किरदार मेरे आसपास से होकर गुजरा है। इन किरदारो की जाति जिन्दगानी का कुछ अंश में इस ‘‘पिटारे’’ में बंद कर रहा हूं। मेरा ये ‘‘पिटारा’’ उसी का कुछ हिस्सा भर है जो मैंने देखा, जिया और महसूस किया है।
अरूण कुमार ‘‘मानव’’”





