Description
ये कहानी निःसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¥‡à¤® के शà¥à¤¦à¥à¤§ रूप को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करती है | इस कहानी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– किरदारों की ये दासà¥à¤¤à¤¾à¤ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤® कथा है, जहाठवे à¤à¤• दूसरे के होते हà¥à¤ à¤à¥€ कà¤à¥€ à¤à¤• न हो सके | ये कहानी à¤à¤• से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥‡à¤® की दसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को समेटे हà¥à¤ है | जहाठà¤à¤• तरफ कहानी के मà¥à¤–à¥à¤¯ पातà¥à¤°, बिना à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ से मिले ही, अपना मन à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ पे हार बैठे | कैसे सिलसिले बने, और उनके पà¥à¤°à¥‡à¤® की परिणति कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤ˆ | वहीं दूसरी ओर पà¥à¤°à¥‡à¤® का दूसरा सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª दिखाया गया है, जहाठअलगाव के दिनों में मà¥à¤–à¥à¤¯ पातà¥à¤° को निशà¥à¤›à¤² पà¥à¤°à¥‡à¤® के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कैसे संबल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया गया |
यह कहानी मानवीय संवेदनाओं को अचà¥à¤›à¥€ तरह परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करती है | कहानी के तीनों किरदार आकाश, अवनि और सखी के मधà¥à¤¯à¤® से, पà¥à¤°à¥‡à¤® के बिà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रूपों को सामने रखकर ये कहने की कोशिश की गयी है कि, पà¥à¤°à¥‡à¤® अगर बिखर à¤à¥€ जाठतो वह पà¥à¤°à¥‡à¤® ही रहता है |
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