Description
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मेरे पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पाठकगण इस कहानी के माधà¥à¤¯à¤® से मैं आपके समकà¥à¤· उस सà¥à¤µà¤°à¥‚प को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ कर रहा हूà¤à¥¤ रचनाकार समाज में à¤à¤• आईना सदृशà¥à¤¯ होता है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° आईना सामने खड़े हà¥à¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ या समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤®à¥à¤¬ को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करता है। ठीक उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¤• रचनाकार समाज में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को आपके समकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहा है। मेरी रचना का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ पाठकों के समकà¥à¤· समाज की कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना है। जहाठà¤à¤• वरà¥à¤— अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के वशीà¤à¥‚त अपने ही à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को समाज के बनà¥à¤§à¤¨ का हवाला देकर अपने ही वरà¥à¤— के लोगों को नीचा दिखाने की कोशिश करता है। à¤à¤µà¤‚ उनके ऊपर तरह-2 के मिथà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤ª लगाकर घृणा à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤µà¥‡à¤¶ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रखता है। à¤à¤µà¤‚ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नीचा दिखाने की कोशिश करता है à¤à¤µà¤‚ उन पर जà¥à¤°à¥à¤® ढाता रहता है। वह यह à¤à¥€ à¤à¥‚ल जाता है कि यदि यही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° मेरे साथ होता तो मेरे ऊपर इसका कà¥à¤¯à¤¾ असर होता।
पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पाठकगण समाज के इने-गिने लोग समाज के बनà¥à¤§à¤¨ का हवाला देते हà¥à¤ अपने ही à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते हैं। वे अपने को सà¥à¤µà¤¯à¤‚à¤à¥‚ करà¥à¤£à¤§à¤¾à¤° बनने का सà¥à¤µà¤¾à¤‚ग रचते हैं; वे यह à¤à¥€ à¤à¥‚ल जाते हैं कि करà¥à¤£à¤§à¤¾à¤° वह होता है जो सà¥à¤–-दà¥à¤– में अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ का साथ दे, ना कि उनका उपहास करें। उनके साथ कनà¥à¤§à¥‡ से कनà¥à¤§à¤¾ मिलाकर उनकी मदद करें, न की उनके ऊपर तरह-2 की बंदिशें लगाकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समाज से बहिषà¥à¤•à¥ƒà¤¤ व तिरषà¥à¤•à¥ƒà¤¤ करें तथा उनके ऊपर तरह- तरह के जà¥à¤°à¥à¤® ढाये।
करà¥à¤£à¤§à¤¾à¤° तो वह होता है जो कि दीन-दà¥à¤–ी à¤à¤µà¤‚ समाज से तिरषà¥à¤•à¥ƒà¤¤ लोगों को गले लगाये तथा उनके सà¥à¤– दà¥à¤ƒà¤– में सहयोग करें।”
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