लेखनी को अपने जीवन का आधार बनाने वाले वाले सूर्य कुमार उपाध्याय बहुविकल्पीय विचारधारा से प्रेरित शख्सियत हैं । फक्कड़ी, घुमक्कड़ी और सुतक्कड़ी जैसे शब्द लेखक के लिए प्रर्यायवाची संबोधन हो सकते हैं। सूर्य जी ने चेन्नई से लेदर टेक्नोलॉजी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एक पेशेवर पत्रकार के तौर पर दैनिक हिन्दुस्तान, ईटीवी न्यूज़, प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया और ज़ी न्यूज़/बिज़नेस सरीखे नामचीन संस्थानों में क़रीब १५ साल तक नौकरी की। लेकिन कहानीकार बनने की ललक ने सूर्य जी को पत्रकार से लेखक बना दिया। चलते-फिरते कहानियाँ गढ़ने में इन्हें महारत हासिल है । इनकी कहानियाँ कहीं ढोंगी समाज की पोल खोलती नज़र आती हैं तो कहीं आदर्शवाद का लबादा ओढ़ने वाले बनावटी लोगों को आईना दिखाती हैं । बिना लाग-लपेट के अपनी बात पाठकों के सामने रखने में माहिर सूर्य जी ने अपनी पत्रकारिता के अनुभव का अपनी कहानियों में ख़ूब दोहन किया है। फ़र्ज़ी बाबाओं की पोल खोलती चर्चित फिल्म ग्लोबल बाबा के लेखक और गीतकार सूर्य कुमार उपाध्याय की कहानियाँ यथार्थवादी होने के साथ-साथ रोचक और रोमांचक होती हैं।
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