Description
मन को आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤, उदà¥à¤µà¥‡à¤²à¤¿à¤¤ और चमतà¥à¤•à¥ƒà¤¤ कर देने वाली रचनाओं का संकलन है ‘जागा हà¥à¤† सा कà¥à¤›’। मैं तो कहता हूठकवि कà¥à¤› नहीं पूरà¥à¤£ रूप से जगा हà¥à¤† हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ और अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® का जीवंत दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ है ‘जागा हà¥à¤† सा कà¥à¤›’। हिंदी साहितà¥à¤¯ ही नहीं विशà¥à¤µ साहितà¥à¤¯ में आज तक इतनी उकृषà¥à¤Ÿ और औदातà¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कविताओं का सृजन नहीं हà¥à¤† है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कावà¥à¤¯ कृति विशà¥à¤µ साहितà¥à¤¯ की अमूलà¥à¤¯ धरोहर है। यह महज कावà¥à¤¯ संकलन नहीं वरन à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ का तरल महाकवà¥à¤¯ है। इन कविताओं में बà¥à¤¦à¥à¤§ की पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾, करà¥à¤£à¤¾, मà¥à¤¦à¤¿à¤¤à¤¾, मैतà¥à¤°à¥€, शील, समाधि, कृषà¥à¤£ का करà¥à¤®, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, योग, जà¥à¤žà¤¾à¤¨, दरà¥à¤¶à¤¨, ईशा मसीह का समरà¥à¤ªà¤£, तà¥à¤¯à¤¾à¤—, मोहमà¥à¤®à¤¦ साहब का ईमान, à¤à¤•à¤¤à¥à¤µ दरà¥à¤¶à¤¨, à¤à¤•à¤¤à¤¾, कबीर का रहसà¥à¤¯, सूफियों का पà¥à¤°à¥‡à¤®, शंकर का अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤à¤µà¤¾à¤¦, गोरखनाथ का हठयोग, जैनियों का संशयवाद सब कà¥à¤› समाहित है। यहाठआतà¥à¤®à¤¾-परमातà¥à¤®à¤¾ से à¤à¤•à¤¾à¤²à¤¾à¤ª, संलाप व अंताप करती हà¥à¤ˆ नजर आती है। कवि डॉ. राकेश ऋषठअसà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की अतल गहराइयों में उतर कर चेतना के महासागर में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते नजर आते हैं। यह कावà¥à¤¯ संकलन अदà¥à¤à¥à¤¤ है। यह कवि ऋषठका कमाल है कि नीरस माने जाने वाले विषय को कविता का शीरà¥à¤·à¤• बना कर कावà¥à¤¯ रस की धारा बहा दी है। à¤à¤¸à¥€ अदà¥à¤à¥à¤¤ लेखनी को सलाम। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कविताà¤à¤ अनूठी à¤à¤µà¤‚ अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® हैं। जो पाठक इस कावà¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹ को मनोयोग से पढ़ेगा वह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ की चाशनी में डूब जायेगा। असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की अननà¥à¤¤ गहराइयों में गोते लगाà¤à¤—ा। जब वह कावà¥à¤¯ रस सागर से बाहर आà¤à¤—ा तो कà¥à¤› नहीं पूरà¥à¤£ रूप से जागा हà¥à¤† होगा। निरà¥à¤µà¤¾à¤£, मोकà¥à¤· और कैवलà¥à¤¯ को उपलबà¥à¤§ हà¥à¤† होगा।
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