Description
Kya Tumhe Yaad Kuch Nahi Aata / Author: Siraj Faisal Khan / MRP: 175 / Pages: 142
Description: सिराज फ़ैसल ख़ान का जन्म 10 जुलाई 1991 को शहीदों के नगर ‘शाहजहाँपुर’ के गाँव ‘महानन्दपुर’ में हुआ। ‘जीव-विज्ञान’ में स्नातक एवं ‘इतिहास’ और ‘शिक्षाशास्त्र’ में परास्नातक की डिग्री लेने वाले फ़ैसल ने उर्दू साहित्य का दामन थामा और ग़ज़लों व नज़्मों को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। वर्ष – 2011 में उन्हें ‘कविता कोश पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उनकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही हैं।
Mein Shayar to nahin / Author: Dr. Shaheda Khan / MRP: 250 / Pages: 170
Description: “मैं शायर तो नहीं” एक ग़ज़ल संग्रह है जिसमें ज़िन्दगी-मौत, प्रेम-घृणा,ंरिश्ते-नाते, प्यार-मोहब्बत, शिकवे- शिकायत, क़स्मे-वादे, वफ़ा-बेवफ़ाई, अमीरी-ग़रीबी, के साथ साथ क़ौमी एकता की रचनाएं भी दिखाई देंगी। यह पुस्तक लगभग 150 ग़ज़लों का संकलन है।इस पुस्तक में मन मत्स्तिष्क में उठने वाले विचारों को कवि ने अपने शब्दों में पिरोया है। विषय में विविधता होने के कारण कोई भी व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार इस ग़ज़ल संग्रह को पढ़ सकता है। मेरी पहली पुस्तक आईना 2006 में प्रकाशित हुई। वैसे तो मेरा ताल्लुक़ शिक्षा के क्षेत्र से है लेकिन साहित्य शिक्षा का पड़ाव है। मेरे मन मस्तिष्क में उठने वाले भावों और विचारों की सुचारु रूप से की गयी अभिव्यक्ति है”मैं शायर तो नहीं”, मैंने जो पहलू जिस नज़रिये से देखा , और भावों का जो प्रवाह निकला वो एक ग़ज़ल संग्रह के रूप में आपके समक्ष है।मेरी ग़ज़लों में सच्चाई और अनोखापन है ये अत्यंत प्रभावशाली हैं इनमें विचारों का का संगीत़ है और सुख दुख की कोमल और कठोर भावनाएं अठखेलियाँ करती हैं। ग़ज़ल पढ़ने वालों को धड़कते दिल की धड़कन सुनाई देगी। जीवन के सुख दुख, के तूफ़ानो की, कोमल और कठोर भावनाओं की झलक इन ग़ज़लों में साफ़ दिखाई देगी। इन ग़ज़लों में रोशनी भी है ख़ुश्बू भी है। अगर ये कहा जाए कि कि “मैं शायर तो नहीं” आज़ाद ग़ज़लों का संग्रह है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। डॉ शाहिदा प्रतापगढ़, उ प्र
Man Ke Do Mausam / Author: Gajendra Shrotriya / MRP: 225 / Pages: 180
Description: मिली तमाम वो शै जिनकी आरजू ही नहीं मेरे नसीब में सब कुछ है सिर्फ तू ही नहीं तेरी याद से दिल भरा तो रहेगा मगर ज़ीस्त में इक ख़ला तो रहेगा अधूरी रही क्यूँ मुहब्बत हमारी हमें ख़ुद से ही ये गिला तो रहेगा ये तबस्सुम लबो का झूठा है सच तो ये है कि दिल तो टूटा है जहाँ चैन था मेरी आवारगी को ये दिल याद करता है फिर उस गली को न दिल आने देता है दिल में किसी को करे कौन पूरी तुम्हारी कमी को तुझको भुलाना वैसे तो मुश्किल नहीं लगा लेकिन तेरे बग़ैर कहीं दिल नही लगा ख़ाली रहा ये दिल का मकाँ बाद में तेरे कोई भी इसमें रहने के क़ाबिल नहीं लगा इसी पुस्तक से
Chum Aaye Hum Gulab / Author: Pankaj Kumar Mishra / MRP: 225 / Pages: 118
Description: एक काव्यकृति का प्रकटन तपस्या का फल होता है। प्रस्त ग़ज़ल सं ग्रह तु माँ शारदे देवी मैहर के आशीर्वाद से सं भव हो सका है। इस ग़ज़ल सं ग्रह के पीछे जिन भी प्रेरको का हाथ है उन सभी को धन्यवाद के साथ मैं आदरणीय बाऊजी समर कबीर एवं सम-आदरणीय अग्रज सौरभ पाण्डेय जी को सादर प्रणाम सहित उनके प्रति आभार प्रकट करता हूँ। इसके साथ ही मैं अपने परिजनो को भी आभार देता हूँ, जिनका मेरे साथ होना मेरा सं बल है। कोई भी रचना अपने पाठको के बिना बे-मोल होती है, यह पाठक ही हैं जो किसी भी काव्य-कृति को अनमोल बना देते हैं। मैं इस ग़ज़ल सं ग्रह “चूम आए हम गुलाब” का प्रत्येक शब्द आप पाठक-गण को सादर-सप्रेम भेंट कर रहा हूँ, इस आशा के साथ कि ‘यह रचना आपके मानस-पटल पर अपना स्थान बनाएगी’।
Aur Kitne Aasman / Author: Akhilesh Tiwari / MRP: 200 / Pages: 122
Description: अखिलेश तिवारी ग़ज़ल की दुनिया का एक सुपरिचित नाम है। "और कितने आसमां" के नाम से प्रकाशित इनकी ग़ज़लों की यह बहुप्रतीक्षित किताब है। किताब में यथार्थ की खुरदुरी ज़मीन पर ज़िन्दगी के विविध रंगों से अक्कासी की गई है। ग़ज़लों के साथ नज़्मों, क़तों और दोहों को भी इसमें जगह दी गई है। पुस्तक की संक्षिप्त किंतु प्रभावशाली भूमिका में एक जगह अखिलेश तिवारी लिखते हैं: "अस्ल में ग़ज़ल की अपनी एक शब्दावली है जिसमें कुछ शब्द बड़ा कूट अर्थ लिए होते हैं। मज़ा तो जब है कि ये अर्थ पढ़ने, सुनने वाले की क्षमता, अनुभव और मनोदशा के अनुरूप उस पर सामर्थ्य भर खुलें पर खुलें अवश्य। बंद लिफ़ाफ़े से बेरंग न लौट आएं।फिर ग़ज़ल का जहां तक सवाल है, शेरों का भविष्य क्या होगा कुछ पता नहीं।सामान्य से लगने वाले मिसरे कई बार इतना अंडर करंट लिए होते हैं कि उनकी चमक और रोशनी या कहें ऊष्मा सहज ही अपनी गिरफ़्त में ले लेती है। अच्छा शेर कई बार काविशों के बोझ से दबकर हांफने लगता है।"
Humari Sadi Main / Author: Harish Darwesh / MRP: 200 / Pages: 118
Description: हरीश दरवेश की ग़ज़लें न सिर्फ़ हिन्दी-ग़ज़ल का एक अहम पड़ाव हैं, बल्कि भारतीय ग़ज़ल-परम्परा की सम्भावनाओं का एक अहम मोड़ भी हैं। हरीश दरवेश ख़ुद को दुष्यन्त कुमार और अदम गोंडवी की परम्परा का ग़ज़लकार मानते हैं, लेकिन इन दोनों से सन्दर्फ लेते हुए इन्होंने ग़ज़ल के नये प्रसंगों की व्याख्याएँ की हैं। दुष्यन्त कुमार प्रतीकों और इशारों में बात करते हैं और अदम गोंडवी का स्वर बहुत लाउड है, लेकिन हरीश दरवेश इन दोनों से अलग एक व्यक्तिगत अनूभूति का स्वर लेकर आते हैं। प्रतीकों की रचना-व्यवस्था उर्दू-ग़ज़ल की विशेषता रही है और व्यक्तिगत अनुभूति की अभिव्यक्ति भी उर्दू-ग़ज़ल की आत्मा है। अदम जी का स्वर समकालीन हिन्दी-कवीता के अधिक निकट था, जिसका प्रभाव हरीश दरवेश की कुछ ग़ज़लों में दिखायी देता है। हरीश दरवेश ने व्यक्तिगत पीड़ा और आक्रोश का मिश्रण ग़ज़ल जैसी स्थापित विधा में इस प्रकार किया है कि न सिर्फ़ इनके प्रति आकर्षण बढ़ता है, बल्कि ग़ज़ल-विधा से प्यार करनेवालों को एक नवीन सुखद अनुभूति प्रदान करता है। प्रचलित भाषा-विधान से एकदम अलाहदा इनकी शैली एक अलग ही गुहाविरे को स्थापित करती है।
Perfume / Author: Siraj Faisal Khan / MRP: 200 / Pages: 104
Description: सिराज फ़ैसल ख़ान की ग़ज़लों का पहला संकलन ‘क्या तुम्हें याद कुछ नहीं आता’ नाम से पहले ही ‘मंज़र-ए-आम’ पर आ चुका है। अब उनका दूसरा संकलन ‘परफ्यूम’ आप तक पहुँच रहा है। यह नज़्मों का मज्मूआ है। नौजवान शायर सिराज फ़ैसल के इस मज्मूए में 40 से ज़ियादा नज़्में शामिल हैं और यह सभी नज़्में उनके हस्सास शायर होने की ताकीद करती है। यह नज़्में ‘Poetry with Purpose’ की ख़ूबसूरत मिसाल हैं।