Description
“डॉ. ‘कà¥à¤®à¤¾à¤°’ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ की à¤à¤• ख़ूबी है जो मà¥à¤à¥‡ ज़ाती तौर पर बहà¥à¤¤ पसनà¥à¤¦ है और उनकी तारीफ़ करने को मजबूर करती है वो ये है कि उनकी बेशà¥à¤¤à¤° ग़ज़लों में à¤à¤• ख़à¥à¤¶à¤•à¥à¤¨ उसà¥à¤²à¥‚बी तहारत है और ग़ज़लों को सजाने, सà¤à¤µà¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का ख़ूबसूरत सलीक़ा है। फ़िकà¥à¤°à¥‹-फ़न की नयी मंज़िलों पर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठडॉ. ‘कà¥à¤®à¤¾à¤°’ ने लफ़à¥à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ का पीछा नहीं किया। लफ़à¥à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ की à¤à¤°à¤®à¤¾à¤° से अपनी शायराना हनक बढ़ाने की कोशिश नहीं की बलà¥à¤•à¤¿ अपने मिज़ाज और मौज़ूआत से मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤•à¤¼à¤¤ रखने वाले पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ लफ़à¥à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ से नये-नये मआनी पैदा करने की बिसात-à¤à¤° कोशिश की है जिसमें वो कामयाब à¤à¥€ हà¥à¤à¥¤â€
-डॉ. अंजà¥à¤® बाराबंकवी“अब तो ग़ज़ल ही डॉकà¥à¤Ÿà¤° कृषà¥à¤£ कà¥à¤®à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ का उठना-बैठना, सोना-जागना बन गया है। मानो ये ग़ज़ल की अनंत यातà¥à¤°à¤¾ पर निकले हà¥à¤ शायर हैं। इनकी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤, इनकी संवेदनाà¤à¤, इनकी सोच इनके सपने सब-कà¥à¤› ग़ज़ल ही बन गये हैं।â€
-अजय पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿
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