Description
“`à¤à¤• देश-à¤à¤• चà¥à¤¨à¤¾à¤µ : à¤à¤¾à¤°à¤¤ में राजनीतिक सà¥à¤§à¤¾à¤° की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾’ कà¥à¤² तीन खणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में है। हर खणà¥à¤¡ में अनेक अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है। à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि से बात शà¥à¤°à¥‚ कर लेखक ने सिलसिलेवार अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ को आगे बà¥à¤¾à¤¯à¤¾ है। इतिहास के साथ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯, तीनों का सामंजसà¥à¤¯ बिठाने की सारà¥à¤¥à¤• कोशिश है। यह कहा à¤à¥€ जाता है कि हमें à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में जितनी दूरी तय करनी होती है, जितना आगे जाना होता है, उतना पीछे मà¥à¥œà¤•à¤° देखना पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ à¤à¥€ देता है और सबक à¤à¥€à¥¤
आमतौर पर à¤à¤¸à¥€ किताबों के लेखन में तरà¥à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हो जाता है। लेखक निजी विचारों के दायरे में बà¤à¤§à¤•à¤°, अपने तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ को सामने रखते हैं। पर शà¥à¤°à¥€ अनूप बरà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤² जी ने इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में अपने निजी तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ को हाशिये पर रखा है, तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ दी है, यह उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय है। तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से ही मानस बनता है। सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है कि लेखक की मंशा है कि इस जरूरी और महतà¥à¤µ के विषय पर, सà¤à¥€ तथà¥à¤¯ सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• बहस-संवाद के केंदà¥à¤° में हो, ताकि निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• लोकमत या जनमत, इस विषय पर बन सके।
… पर, इन सब बातों के बीच à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे विशाल लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• देश में इस बात की माà¤à¤— समय-समय पर होती रही है कि इस देश में à¤à¤• समय पर सà¤à¥€ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ होने चाहिà¤à¥¤ à¤à¤• बारगी सोचने पर यह लग सकता है कि à¥à¥¦ के दशक में जिस तरह इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ या परंपरा को खतà¥à¤® कर धीरे-धीरे देश को हमेशा चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ मोड़ में रखने की बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ तैयार की गयी, उसमें अब संà¤à¤µ नहीं कि ‘वन नेशन-वन इलेकà¥à¤¶à¤¨’ का सपना साकार हो। पर, उसकी संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤ हैं। लेखक शà¥à¤°à¥€ बरà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤² ने अपनी इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ सà¤à¥€ संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं की पड़ताल की है और संविधान, कानून से लेकर सैदà¥à¤§à¤¾à¤‚तिक-वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• तौर पर आनेवाली चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और उनसे पार पाने के रासà¥à¤¤à¥‡ के बारे में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से लिखा है।
आशा है पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• इस महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विषय को आगे बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ में सारà¥à¤¥à¤• हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª करेगी। जनमानस को तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से परिचित करायेगी। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° अधिक से अधिक हो, यही कामना है। इस महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विषय पर शà¥à¤°à¤® और लगन से काम करने के लिठलेखक अनूप बरà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤² देशबंधॠजी को शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤à¥¤
– हरिवंश
उपसà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿, राजà¥à¤¯ सà¤à¤¾
(पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤•à¤¥à¤¨ का अंश)”
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