Description
“दिल बेक़रार कै से न हो ” गीत सं ग्रह एक बार पुनः आपकी बेक़रारियो को बढ़ाने वाला है। सभी तरह के दःख-सुख के लम्हों को गी तो केमाध्यम से आप तक पहुँचाने का प्रयास है। पलको के बन्द करने पर भी जब वह दिखाई दे, चन्द लम्हों की मुहब्बत क्या- क्या रंग जीवन में लाती है, बैठे हैं इन्तज़ार में …? चुपके से आकर जो दिल में हलचल मचा दे तो कै से न दिल बेकरार होगा। तरन्म में ग नुये जाने वाले फिल्मी अन्दाज लिये ये गीत आपके हृदय को अवश्य छुयेंगे । फे स बुक के मेरे तमाम दोस्त इन गीतो को पढ़कर आनन्दित होते हैं। उनके कमेन्टस् मेरा उत्साहवर्धन करते हैं और मुझे नयी ऊर्जा प्रदान करते हैं। उनके लिखे अल्फ़ाज़ भी मेरे गीतो की विषय वस्तु बन जाते हैं । कैलाश चन्द्र यादव “गीतकार” काशीपुर जिला ऊधमसिहनगर उत्तराखण