Dashanan(Ram Ravan Katha Part 2) (old edition)

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Description

रामकथा को अलौकिकता के दायरे से निकालकर, मानवीय क्षमताओं के स्तर पर परखने की शृंखला का नाम है ‘राम-रावण कथा’। इस शृंखला के प्रथम खण्ड, ‘पूर्व-पीठिका’ में पाठकों ने राम-रावण कथा के प्रमुख पात्रों और उनकी उत्पत्ति का परिचय प्राप्त किया। इस खण्ड में कथा आगे बढ़ती है। जिस कथा से हममें से अधिकांश लोग परिचित हैं, उसमें रावण की उपस्थिति प्राय: राम के वनवास के उपरान्त ही दृष्टिगत होती है। रामकथा में खलनायक के रूप में अवतरित होने से पूर्व, रावण का व्यक्तित्व और उसकी उपलब्धियाँ क्या हैं, इसका ज्ञान हमें प्राय: नहीं है; आगे की कथा में कभी-कभार प्रसंगवश कोई उल्लेख आ गया तो आ गया, अन्यथा हम रावण को, राम से उसका वैर होने के बाद से ही जानते हैं। ‘दशानन’, रावण के उसी प्राय: अज्ञात इतिहास की कथा है। इस खण्ड में भी राम उपस्थित हैं; रामकथा के अन्य पात्र भी उपस्थित हैं… किन्तु उन्हें अपेक्षाकृत बहुत कम ‘स्पेस’ मिला है। इसका सहज कारण यह है कि कथा, कालक्रमानुसार प्रगति कर रही है, और रावण, नि:स्संदेह राम से पूर्ववर्ती है। रावण के उत्थान की सम्पूर्ण कथा तो राम के कर्मभूमि में प्राकट्य से पूर्व की ही है; राम के आविर्भाव के साथ ही उसका पराभव आरम्भ हो जाता है। बस इसीलिए इस खंड में ‘दशानन’ की कथा है। अगला खण्ड श्रीराम को समर्पित होगा; क्योंकि राम के महर्षि विश्वामित्र के साथ जाने से लेकर, चन्द्रनखा (सूर्पणखा) से टकराव तक का काल तो एक प्रकार से रावण के विश्राम का ही काल है।

Book Details

Weight 280 g
Dimensions 9 × 6 in
Pages

440

Language

Hindi

Edition

First

ISBN

9789387390225

Author

Sulabh agnihotri

Publisher

Redgrab Books

Series

Ram Rawan Kata

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