Bichauliye Shahar

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Description

आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में, हम सपनों को पूरा करने की दौड़ में इतना मशगूल हो गए हैं, कि ये ध्यान ही नहीं जाता कि आस-पास क्या चल रहा है। दुनिया के शोर-गुल में, ख़ुद को सुनना भूल चुके हैं। मेरी इस क़िताब में, मेरी ज़िंदगी के कुछ वही अनुभव हैं, जिनको मैं दुनिया के इस शोरगुल में भूल गया था, जिनको मैंने ख़ुद से जिया है, देखा है, महसूस किया है और कोशिश की है, जो सामने हो रहा है, उसको सिर्फ़ तमाशबीन की देखता न रहूँ बल्कि कुछ कहूँ भी। इसके अलावा मेरे पिताजी के अंतिम तीन महीने, जो उनकी मृत्यु से पहले के थे, उसमें मैंने ज़िंदगी का सार पाया, उस यात्रा में जो मैंने महसूस किया, वो सब अपनी क़लम के माध्यम से इस संग्रह में बयान करने की कोशिश की है।.

Book Details

Weight 140 g
Dimensions 0.4 × 5.5 × 8.5 in
Edition

First

ISBN

9789390944354

Pages

112

Binding

Paperback

Binding

Language

Hindi

Author

Alok Pandey

Publisher

Redgrab Books

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