Description
रविंदà¥à¤° नाथ अपनी पतà¥à¤¨à¥€ à¤à¤µà¤‚ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के संग फटेहाल सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में अरà¥à¤œà¤¨à¤—ढ़ में रहता है। उसके दूर के बड़े à¤à¤¾à¤ˆ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उसको à¤à¤• चिटà¥à¤ ी मिलती है। रविंदà¥à¤° को आनन फ़ानन में उनके पास रामपà¥à¤° जाना पड़ता है। जिसके बाद उसकी और उसके परिवार की ज़िंदगी ही बदल जाती है। वो रातों रात विशाल समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का मालिक हो जाता है। अपनी क़िसà¥à¤®à¤¤ की बदौलत रविंदà¥à¤° ख़à¥à¤¦ को कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के बाहà¥à¤¬à¤²à¥€ उरà¥à¤«à¤¼ “बड़े साहब†के रूप में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने में सफल हो जाता है।
ख़à¥à¤¦ को खà¥à¤¦à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पतन का कारण होता है। कचरे की गाड़ी में लेटा घायल रविंदà¥à¤° नाथ यहीं सोच रहा है। उसका सफ़ेद कà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ ख़ून से लाल हो चà¥à¤•à¤¾ है। कचरा गाड़ी को खींच रहा है रविंदà¥à¤° का बड़ा बेटा जीतू, जो अपने पिता की à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ देख कर दहशत में है। लेकिन आख़िर à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† कि कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के बाहà¥à¤¬à¤²à¥€ की à¤à¤¸à¥€ हालत हो गई?
करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के इसी रोमांचक खेल को नज़दीक से देखने का मौक़ा देता है उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ “बड़े साहबâ€
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