Adhunik Paripreksh Me Mahabharat

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Description

मौलिकता का भ्रम पाले आकुल अन्तर अपने को अभिव्यक्त कर कम से कम शब्दों में
समेट लेना चाहता है पर एक सीमा है, जो असीम होना चाहती है। ससीम और असीम की भी
एक मर्यादा है। मर्यादा का अतिक्रमण अराजकता को जन्म देता है। इससे बचते हुए महाभारत
की उपलब्धियों और आधुनिक परिवेश में इसकी उपयोगिता संबंधी तथ्यों पर समसामयिक
संदृष्टि प्रक्षिप्त करने की कोशिश है। कोशिश तो कोशिश है। प्रयास की एक यात्रा है। इस यात्रा में
मैंने जहाँ भी जिस रूप में कुछ पाया उसे ज्यों का त्यों नहीं, आत्म ज्ञान से नहीं, भौतिक परिवेश
में भारत की माटी, वनस्पतियों, नदी-तालाब, सरेह सीवान और एक ओर जहाँ अगणित आखर
में अभिव्यक्त उत्तुंग शिखरों से संवाद साधने की चेष्टा की है. वहीं पर श्रीकृष्ण के उज्ज्वल चरित्र
के साथ परम्परागत व्यास-वाल्मीकि एवं अन्याय शब्द शरीर-धारियों और उनके कैवल्य शरीर से
साधनात्मक दृष्टि को अन्तरस्थ भावनाओं के साथ जोड़कर परोसने की कोशिश की है। साधिकार

कुछ दावा नहीं कर सकता पर इतना जरूर है कि 'दैवी भावरये वाहकं भारतं भा-रतं भवेत।
करोतु निखिलं विश्वम् भयमुक्तं निरामयम् ।।
भारत दैवी भाव का संवाहक है। यह ज्योतिर्मय हो उसे सम्पूर्ण विश्व को भयमुक्त और
नीरोग बनाये। इसी परिप्रेक्ष्य में महाभारत विश्वकाव्य है। संस्कृत में उल्लिखित अक्षरों में क्षर
मानव को अक्षर बनाने का, उस राह में दो कदम चलने चलाने के प्रयास की एक छोटी सी
भूमिका है।

Book Details

Weight 381 g
Dimensions 1 × 5.5 × 8.5 in
Edition

First

Language

Hindi

Binding

Hardbound

Pages

305

ISBN

9789391531294

Publication Date

2022

Author

Dr. Ajay kumar Mishra

Publisher

Anjuman Prakashan

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