Novels Combo 1 (5 Hindi Books Set)

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Description

Lockdown Pages / Author: Satyam Prem / MRP: 200 / Pages: 108

Description: अजीब वर्ष था न 2020, किसी के अपने छीन लिए तो किसी के सपने। इतिहास मे 2020 हमेशा ख़राब कारणों से याद किया जायेगा। पर कहते हैं न कि समय कितना भी ख़राब हो उसकी स्मृतियाँ हमेशा मधुर ही होती हैं। लॉकडाउन पेजेस कहानी है सोमेश और क्रिस्टीन की जिनका प्रेम सामाजिक दृष्टि से बेमेल है पर कहते हैं न कि समाज के बनाये हुए नियम मनुष्य की मूल प्रकृति पर लागू नहीं होते। आत्मकथात्मक शैली मे लिखा गया यह उपन्यास मानवीय भावनाओं का अतिरेक है। इस उपन्यास में सोमेश का गंभीर और संवेदनशील व्यक्तित्व, क्रिस्टीन का उच्छृंखल चरित्र, अर्चना का पारंपरिक पति प्रेम और एंजेलिना का बेबाकपन पाठकों को भीतर से आंदोलित करेगा। तो आइये साथ- साथ यात्रा करते हैं।

 

Sant Manmauji / Author:  Bhanu Prakash / MRP: 160 / Pages: 160

Description: संसार असार है, मिथ्या है। जन्म, मृत्यु, रोग और जरा का कुचक्र है। उसे मोक्ष चाहिए। उसे लगता था कि कामनाओं से मुक्त होकर ही मोक्ष मिलेगा। और कामनाओं पर नियंत्रण के लिए सजग और सतत प्रयास चाहिए। किसी अज्ञात प्रेरणा से संचालित होकर उसने ब्रह्मचर्य का रास्ता चुना। किन्तु भावनाओं के उद्दाम वेळ ने उसे प्रेम तट पर ला फेंका। भारतीय अध्यात्म के चिरंतन द्वंद्व, वैराग्य और गृहस्थ के बीच वह झूलने लगा। उपन्यास नायक के इस द्वंद्वात्मक सफ़र और नायिका के इस्पाती इरादे को रोचक तरीके से उकेरता है। कहानी में समय से पूर्व परिपक्व हो चुकी तेरह वर्षीया विदिशा भी आती है जो पिता के अधूरे सपने को अपना बना लेती है। कथा-प्रवाह और अनूठी लेखन शैली इसे पठनीय कृति बनाती है।.

 

Half Ticket Ghode / Author: Abir Anand / MRP: 175 / Pages: 240

Description: उन सात सालों मे जब, तेंदुलकर भगवान बना, भारत ने उदारीकरण की राह पकड़ी, केबल टीवी का जन्म हुआ, बाबरी मस्जिद ढही, राजीव गाँधी की हत्या हुई, दिव्या भारती की मृत्यु हुई, हर्षद मेहता ने घोटाला किया| उन सात सालों में, ग्यारह से अठारह साल की उम्र के बच्चे क्या सोचते थे? ‘हॉफ टिकट घोड़े’ उन्हीं सात सालों की कहानी है। यह इतनी दिलचस्प हो सकती है, बिल्कुल अहसास नहीं था। इरादा था उस उम्र के बाल मनोविज्ञान को पकड़ना। ये किया तो क्यों किया, वो कहा तो क्यों कहा। बहुत सारे विवाद है, झड़पें हैं। डर है कि मसले जो अब सुलझ चुके हैं, उन्हें कहीं मैं फिर से उलझा न लूँ। स्वार्थ है, पार्थ! निरा स्वार्थ|

 

Kuch Kisse BITS PILANI Canteen se / Author: Chirag Khatri/ MRP: 125 / Pages: 184

Description: ‘कुछ किस्से – Bits Pilani कैंटीन से’, कैंटीन में दोहराये वो किस्से हैं, जो चाय की पहली चुस्की के साथ उतने ही नए हो जाते हैं, जितने कि सिगरेट की आख़िरी कश के साथ पुराने। Bits Pilani के पाँच लड़के कैंटीन में मिलते तो हैं गप्पें मारने के लिए; पर समय के साथ उनकी बातों में वो किस्से होते हैं, जो समाज को, मुहब्बत को, और ज़िन्दगी को खुल के बयान कर रहे होते हैं। किस्सों की शुरूआत कुछ ऐसे ही होती है, जैसे कि ज़िन्दगी की शुरूआत होती है.. नई, खुश और आशावान; और किस्से खत्म भी ऐसे ही होते हैं, जैसे ज़िन्दगी खत्म होती है.. दर्द, तजुर्बे और मुक्ति के साथ। किताब, आपको कैंटीन और टपरी में, चाय के साथ लगाये ठहाके, और उसके बाद की गंभीरता को एक बार फिर से जीने का मौका देगी। किताब में किस्सों की भाषा ऐसी है, मानो दृश्य सजीव हो उठा हो; और फिर किताब को पढ़ने नहीं, बल्कि सुनने और देखने का आनंद मिलता है। किस्सों के बीच में आई कविताएँ नई कलम के नए साहित्य को दर्शा रही हैं।

 

Dark Night / Author : Sandeep Nayyar MRP: 175 / Pages: 216

Description: कबीर का किशोर मन, प्रेम, रोमांस और सेक्स की फैंटेसियों से लबरे़ज है। कबीर की इन्हीं फैंटेसियों का कारवाँ वड़ोदरा की कस्बाई कल्पनाओं से निकलकर लंदन के महानगरीय ख़्वाबों तक पहुँचता है। लंदन के उन्मुक्त माहौल में, कबीर की कल्पनाओं को हर वो ख़ुराक हासिल है, जिसके लिए उसका मन ललकता है। इन्हीं सतरंगी ख़ुराक पर पलकर उसकी कल्पनाएँ कभी हिकमा और नेहा के प्रेम में, तो कभी टीना और लूसी के आकर्षण में ढलती हैं। मगर कबीर के लिए अपने रुपहले ख़्वाबों के हवामहल से निकलकर किशोरियों के मन और काया की भूल-भुलैया में भटकना कठिन है। यही भटकाव उसे ‘डार्क नाइट’ में ले आता है; मन की एक ऐसी अवस्था, जिसमें किसी उमंग की कोई रौशनी नहीं है। इसी अँधेरे में कबीर मिलता है, एक स्पेनिश स्ट्रिप डांसर से, जो उसका परिचय डार्क नाइट के रहस्यों से करवाती है। डार्क नाइट के रहस्यों को सुलझाते हुए ही कबीर, नारी प्रेम का संगीत छेड़ना सीखता है; और इस संगीत के सम्मोहन में जकड़ती हैं, दो सुंदरियाँ, प्रिया और माया। प्रिया और माया के आकर्षण में डोलता कबीर, उस दोराहे के जंक्शन पर पहुँचता है, जहाँ उसकी पुरानी कल्पनाएँ जीवित होना चाहती हैं। किसके प्रेम में ढलेंगी कबीर की कल्पनाएँ? किसकी दहली़ज पर जाकर रुकेगा कबीर के ख़्वाबों का कारवाँ? माया या प्रिया?

Book Details

Weight 900 g
Pages

908

Binding

Language

Hindi