Wo Phela Pyar

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Description

उसने अपने ओठों के पास गुलाब रखकर मुझे इतराती नजरों से देखा और कहा, “माफी नहीं मिलेगी क्या? …अभी भी नाराज हो। माफ नहीं करोगे तो जाओगे कहा? तुम्हारा असली गुलाब तो मैं ही हूँ। तुम सममुच गुस्से में बड़े खूबसूरत लग रहे थे। तुम तो कहते थे कि मैं डरपोक नहीं हूँ। लेकिन पुलिस को देखते ही पसीने छूटने लगे थे तुम्हारे। लगता है ब्रेक वाले झटके से बड़ा मेरा वाला झटका था।” मैंने झिझकते हुए कहा, “हाँ, ये झटका जो तुमने अभी-अभी मुझे दिया है उसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकूँगा। तुम्हें समझना वाकई मेरे बस की बात नहीं है। एकदम तिलस्म हो तिलस्म। बकलोली।” धाकड़ कहाँ चुप रहने वाली थी, उसका उत्तर तैयार था। “मैं भी इस ठंड भरी रात को कभी नहीं भूल पाऊँगी। पहले अपने चेहरे के पसीने को पोछो। तुम्हें दिसंबर की कड़क ठंड में भी पसीना निकलवा दिया मैंने। तो जनाब ये है वूमेन पावर ! धाकड़ की पावर, समझे !” फिर हम दोनों गले लग कर जोर-जोर से हँसने लगे। मैंने धाकड़ से कहा, “चलो जल्दी करो वर्ना तुम्हारी DDLJ छूट जाएगी। तुम फिर मुझे कोसोगी।” मैंने बाइक स्टार्ट की और मैं जब तक उसे बैठने के लिए कहता वो लपक कर मेरी बाइक पर आसन जमा चुकी थी। इस बार वह चिपक कर मेरे साथ बाइक पर बैठी थी। बाइक रफ्तार पकड़ चुकी थी और सीधे जाकर मेरी बाइक सिनेमा हॉल पर रूकी।

Book Details

Weight 150 g
Author

Surya Kumar Upadhyay

Binding

Edition

First

ISBN

9789395697569

Language

Hindi

Pages

150

Publication Date

16th May 2024

Author

SURYA KUMAR UPADHYAY

Publisher

Redgrab Books