Description
Ishq Ke Assi Ghat / Author: Abhishek Sharma / MRP: 200 / Pages: 160
Description: सुनो ना, इश्क गर्मियों की ठंडी बयार है तो कभी सीना चाक करता चक्रवात भी। क्या कहा, झूठ है यह? चलो घुमा लाएं ‘इश्क के अस्सी घाट’। यह जो कहीं दीप जले कहीं दिन वाला कॉन्सेप्ट है न इसको कभी एक ही स्क्रीन पर फील किया है? नहीं, फिर क्या जिंदगी जिये हो जनाब। चलो आज आपको सैर करा लाते हैं बनारस के उन घाटों की जहां हर कोने-खोपचे में इश्क या इश्क सरीखी कोई चीज किसी को आबाद तो किसी को बर्बाद कर रही होती है। कहीं आंसुओं का सैलाब बह रहा होता है तो कहीं इश्क की दरिया इठला रही होती है। कुछ नौसिखिया से इश्कजादे-इश्कजादियां वहां इन दोनों को एक साथ देखकर चाय की चुस्कियों के बीच गंगा की लहरों पर किनारा तलाश रहे होते हैं। अब क्या है ना, इश्क के रंग और रूप की वैराइटी बहुत है कलरचार्ट के रंगों की तरह। एक शेड ऊपर या एक नीचे भी हो जाता है तो इश्क का नया रंग बन जाता है। ‘इश्क के अस्सी घाट’ के लेखक अभिषेक शर्मा ने इन्हीं अलहदा रंगों को साल दर साल गंगा के दूर तक फैले घाटों से लेकर डूबते-उतराते, बनते-बिगड़ते, चूमते – लजाते प्रेम पगी संस्कृति की अल्हड़ता की सैर आपको घर बैठे ही कराने का प्रयास किया है। घाट दर घाट इश्क के अजब अनोखे ठाठ और रंगों के शाब्दिक पैनोरमा में डूबकर महसूस कीजिए ‘इश्क के अस्सी घाट’ को।
Vo Ajeeb Ladki / Author: Priyanka Om/ MRP: 140 / Pages: 168
Itti si Khushi / Author: Sarvesh Yadav / MRP: 175/ Pages: 128
Description: कहानियाँ समाज का ही एक हिस्सा होती हैं, हर कहानी समाज के किसी न किसी पहलू के विषय में बात करती है। कुछ कहानियाँ वास्तविक होती हैं और कुछ काल्पनिक, परंतु हर काल्पनिक कहानी का कोई ना कोई वास्तविक पहलू अवश्य होता है। ‘इत्ती-सी ख़ुशी’ में उपस्थित कहानियाँ काल्पनिक तो हैं पर इनका आधार कहीं न कहीं वास्तविकता के इर्द-गिर्द मँडराता है। कुछ कहानियाँ हमसे प्रेम के विषय में बात करती हैं तो कुछ समाज में उपस्थित कुरीतियों के विषय में। कुछ कहानियाँ हमें सावधान करती हैं तो कुछ हमें सही दिशा दिखाती हैं। ‘इत्ती-सी ख़ुशी’ में उपस्थित कहानियों के माध्यम से हमने समाज के कुछ मुद्दों को छूने की कोशिश की है।
Beri Good Stories / Author: Rajesh Beri / MRP: 225 / Pages: 184
Description: राजेश बेरी की यह रचनाएँ मध्यम वर्ग की रूह का दर्शन हैं। हर भारतीय, पाकिस्तानी, नेपाली, बांग्लादेशी जिस हाल में रहता है, रह चुका है या रहेगा, इसी में बविवश वलवले लेता है इसी में पुरातन की आत्मा का संदेश नवीनता में घुलता है। राजेश बेरी के पात्र, डायलाग इस संघर्ष को बेहद कुशलता से उजागर करते हैं। यही जादू तो किताब को हाथ से अलग होने ही नहीं देता। इनकी कहानियों से समाज को एक नई ऊर्जा मिलती है। नैतिक शिक्षा से भरपूर ऐसी ही कहानियों की आज हमारे समाज को ज़रूरत है। राजेश बेरी जी की कहानियों में एक अलग तरह की सादगी और अपनेपन का एहसास होता है। जिन मोरल वैल्यूज और एथिक्स को आज की पीढ़ी भूलती जा रही है उसकी याद बीच बीच में राजेश जी कहानियाँ दिलाती रहती हैं। रिश्तों की मिठास को, ज़िंदगी जीने के एहसास को, राजेश जी ने अपनी कहानियों में बहुत ख़ूबसूरती से बयान किया है। सबसे उम्दा बात उनकी कहानियों की ये है कि हर कहानी आपको एक नयी उम्मीद की रौशनी के साथ जोड़ती है।
Imroz Ki Amrita / Author: Rohan Kumar / MRP: 200 / Pages: 88
Description: प्रेम के बीज दो लोग मिलकर बोते हैं, लेकिन उस प्रेम की पीड़ा जीवन भर किसी एक सीना छेदती रहती है। दो लोग जो मिले और फिर अजनबी हो गए। एक लड़का जिसने अपना प्रेम ढूंढ़ा अपनी हथेली की लकीरों में, लेकिन उसकी कायरता ने उससे छीन लिया उसका प्रेम। एक बेटा जो हमेशा अपने अतीत से भागता रहा लेकिन उसकी मां की मृत्यु ने उसे वापस से उन्हीं अतीत के पन्नों पर लाकर खड़ा कर दिया। दो किशोर जिन्हें शारीरिक और मानसिक बदलाव ने एक दूसरे के करीब किया, लेकिन अधूरे ज्ञान की वजह से उनका बचपन डूबते डूबते रहा गया। दो ऑनलाइन दोस्त जो समय से तलाश रहे थे अपना प्रेम, ग्रहों की दशा ने उन्हें एक दूसरे के सामने लाकर खड़ा कर दिया। एक आठवीं का लड़का जो वक़्त के साथ होने वाले नैसर्गिक बदलाव से जूझता वो सब कर लेना चाहता था जो उसके शारीरिक बदलाव चाहते थे।