Description
अनà¥à¤•à¥‚लता सà¥à¤– देती है और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚लता दà¥à¤–। à¤à¤• ही वसà¥à¤¤à¥ किसी को सà¥à¤– देती है और किसी को दà¥à¤–, किनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ वसà¥à¤¤à¥-निषà¥à¤ है। जो कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ है, वही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है। वह किसी के दà¥à¤– का कारण नहीं हो सकती यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ वह कषà¥à¤Ÿ-साधà¥à¤¯ हो सकती है। तप, कषà¥à¤Ÿ-साधà¥à¤¯ है किनà¥à¤¤à¥ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ है अत: सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है। शिवतà¥à¤µ का अरà¥à¤¥ है, पà¥à¤°à¤—ति या कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥¤ अशिकà¥à¤·à¤¾ से शिकà¥à¤·à¤¾ की ओर, दरिदà¥à¤°à¤¤à¤¾ से समृदà¥à¤§à¤¿ की ओर, निसà¥à¤¤à¥‡à¤œ से तेजसà¥à¤µà¤¿à¤¤à¤¾ की ओर पà¥à¤°à¤—ति है। यह शिव है और सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है। ईशà¥à¤µà¤°à¤¤à¥à¤µ को साकार करने के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मनीषा ने शिव की अवधारणा पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ की। यह पराà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की ओर बà¥à¤¨à¥‡ का à¤à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ था। यह कहती है, शिव का हेतॠही सतà¥à¤¯ है। शिवतà¥à¤µ ,सतà¥à¤¯ की ओर ले चलता है। यत सतà¥à¤¯à¤‚ ततॠशिवम, यत शिवम ततॠसà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤®à¥à¥¤ शिव सदैव सà¥à¤–द रूप से शीतल है, शानà¥à¤¤ है, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है और पवितà¥à¤° है।
Reviews
There are no reviews yet.
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.