Sant Mammauji

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Description

संसार असार है, मिथ्या है। जन्म, मृत्यु, रोग और जरा का कुचक्र है। उसे मोक्ष चाहिए। उसे लगता था कि कामनाओं से मुक्त होकर ही मोक्ष मिलेगा। और कामनाओं पर नियंत्रण के लिए सजग और सतत प्रयास चाहिए। किसी अज्ञात प्रेरणा से संचालित होकर उसने ब्रह्मचर्य का रास्ता चुना। किन्तु भावनाओं के उद्दाम वेळ ने उसे प्रेम तट पर ला फेंका। भारतीय अध्यात्म के चिरंतन द्वंद्व, वैराग्य और गृहस्थ के बीच वह झूलने लगा। उपन्यास नायक के इस द्वंद्वात्मक सफ़र और नायिका के इस्पाती इरादे को रोचक तरीके से उकेरता है। कहानी में समय से पूर्व परिपक्व हो चुकी तेरह वर्षीया विदिशा भी आती है जो पिता के अधूरे सपने को अपना बना लेती है। कथा-प्रवाह और अनूठी लेखन शैली इसे पठनीय कृति बनाती है।.

Book Details

Weight 200 g
Dimensions 0.5 × 5.5 × 8.5 in
Edition

First

Language

Hindi

Binding

PaperBack

Pages

160

ISBN

9789387390751

Publication Date

2019

Author

Bhanu Prakash

Publisher

Redgrab Books

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