Description
संसार असार है, मिथà¥à¤¯à¤¾ है। जनà¥à¤®, मृतà¥à¤¯à¥, रोग और जरा का कà¥à¤šà¤•à¥à¤° है। उसे मोकà¥à¤· चाहिà¤à¥¤ उसे लगता था कि कामनाओं से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर ही मोकà¥à¤· मिलेगा। और कामनाओं पर नियंतà¥à¤°à¤£ के लिठसजग और सतत पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ चाहिà¤à¥¤ किसी अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से संचालित होकर उसने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ का रासà¥à¤¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¥¤ किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के उदà¥à¤¦à¤¾à¤® वेळ ने उसे पà¥à¤°à¥‡à¤® तट पर ला फेंका। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® के चिरंतन दà¥à¤µà¤‚दà¥à¤µ, वैरागà¥à¤¯ और गृहसà¥à¤¥ के बीच वह à¤à¥‚लने लगा। उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नायक के इस दà¥à¤µà¤‚दà¥à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• सफ़र और नायिका के इसà¥à¤ªà¤¾à¤¤à¥€ इरादे को रोचक तरीके से उकेरता है। कहानी में समय से पूरà¥à¤µ परिपकà¥à¤µ हो चà¥à¤•à¥€ तेरह वरà¥à¤·à¥€à¤¯à¤¾ विदिशा à¤à¥€ आती है जो पिता के अधूरे सपने को अपना बना लेती है। कथा-पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ और अनूठी लेखन शैली इसे पठनीय कृति बनाती है।.
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