Retili Zindagi

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Description

मैंने प्रदीप माँझी के रचना – संग्रह ‘‘रेतीली जिन्दगी’’ में संकलित कविता – संग्रह को सदृश्यता से देखा। सहजानुभूतियों की सुरभि-वाही हवाओं में विचरण करने वाला यह कवि अपनी रचनाओं में युग संदर्भों के साथ है। इस कवि की संवेदना की सशक्त बाँहें अपनी माँ नामक प्रथम कविता में माँ का स्तवन करती है जो इस कवि के अंतस मन से जुड़ी संवेदना की सूचक है। सम्वेदन कवि की सबसे बड़ी योग्यता है। डिग्रियों से नहीं कविता संवेदना से लिखी जाती है। हमारे आदि कवि का प्रथम अनुष्टुप छन्द इसका उदाहरण है। पत्थर पर कविता लिखी जा सकती है लेकिन पत्थर हृदय से कविता नहीं लिखी जा सकती। संवेदना का घनत्व पाषाण शिला से अहिल्या को पैदा कर सकता है। किसी कवि की गंध भीनी रागात्मकता जब किसी मिट्टी की सतह को छूती है तब धरती पर सोन जूही एवं हर सिंगारों के जंगल लहराते हैं। परमात्मा कवि के सौन्दर्य बोध से युक्त इन्हीं अनुभूतियों को रसरीतिप्रदान करने के लिए धरती पर फूलों का जंगल बसाता है। फूल कवि को रिझाते हैं। तितलियाँ फूलों को रिझाती है और परमात्मा फूल कवि तितली भ्रमर सबको रिझाता है। मेरी समझ से पूरा प्रकृति जगत परमात्मा द्वारा लिखा गया महाकाव्य है। एक जुगनू जब थोड़ी सी रोशनी लेकर अँधेरे की काली चादर पर रोशनी का सौन्दर्य चित्र बनाता है। तब स्याह रातें भी सुहागिन की तरह उसे अपनी गोद में भर लेती हैं। मुझे तो लगता है कि यह जुगनू भी अँधेरी रात के काले जंगल में रोशनी का अक्षर बिछाने वाला एक कवि है।"}” data-sheets-userformat=”{"2":15359,"3":{"1":0},"4":{"1":2,"2":9684093},"5":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"6":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"7":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"8":{"1":[{"1":2,"2":0,"5":{"1":2,"2":0}},{"1":0,"2":0,"3":3},{"1":1,"2":0,"4":1}]},"9":1,"10":1,"11":3,"12":0,"14":{"1":2,"2":0},"15":"Times New Roman","16":14}”>मैंने प्रदीप माँझी के रचना – संग्रह ‘‘रेतीली जिन्दगी’’ में संकलित कविता – संग्रह को सदृश्यता से देखा। सहजानुभूतियों की सुरभि-वाही हवाओं में विचरण करने वाला यह कवि अपनी रचनाओं में युग संदर्भों के साथ है। इस कवि की संवेदना की सशक्त बाँहें अपनी माँ नामक प्रथम कविता में माँ का स्तवन करती है जो इस कवि के अंतस मन से जुड़ी संवेदना की सूचक है। सम्वेदन कवि की सबसे बड़ी योग्यता है। डिग्रियों से नहीं कविता संवेदना से लिखी जाती है। हमारे आदि कवि का प्रथम अनुष्टुप छन्द इसका उदाहरण है। पत्थर पर कविता लिखी जा सकती है लेकिन पत्थर हृदय से कविता नहीं लिखी जा सकती। संवेदना का घनत्व पाषाण शिला से अहिल्या को पैदा कर सकता है। किसी कवि की गंध भीनी रागात्मकता जब किसी मिट्टी की सतह को छूती है तब धरती पर सोन जूही एवं हर सिंगारों के जंगल लहराते हैं। परमात्मा कवि के सौन्दर्य बोध से युक्त इन्हीं अनुभूतियों को रसरीतिप्रदान करने के लिए धरती पर फूलों का जंगल बसाता है। फूल कवि को रिझाते हैं। तितलियाँ फूलों को रिझाती है और परमात्मा फूल कवि तितली भ्रमर सबको रिझाता है। मेरी समझ से पूरा प्रकृति जगत परमात्मा द्वारा लिखा गया महाकाव्य है। एक जुगनू जब थोड़ी सी रोशनी लेकर अँधेरे की काली चादर पर रोशनी का सौन्दर्य चित्र बनाता है। तब स्याह रातें भी सुहागिन की तरह उसे अपनी गोद में भर लेती हैं। मुझे तो लगता है कि यह जुगनू भी अँधेरी रात के काले जंगल में रोशनी का अक्षर बिछाने वाला एक कवि है।

Book Details

Weight 148 g
Dimensions 0.4 × 5.5 × 8.5 in
Edition

First

Language

Hindi

Binding

Paperback

Binding

Pages

118

ISBN

9789391531423

Publication Date

Saturday, September 10, 2022

Author

Pradeep Manji

Publisher

Anjuman Prakashan

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