Description
कोई मà¥à¤¸à¤µà¥à¤µà¤¿à¤° क़लंदर की तसà¥à¤µà¥€à¤° नहीं बना पाया, लेकिन अगर वहाठराहत इनà¥à¤¦à¥Œà¤°à¥€ का चेहरा बना दिया जाये तो शायद वो क़लंदर की ही तसà¥à¤µà¥€à¤° होगी. मगर कà¥à¤¯à¤¾ सिरà¥à¤«à¤¼ तसà¥à¤µà¥€à¤° से क़लंदर तय किये जा सकते हैं? ज़रà¥à¤°à¥€ है कि राहत इनà¥à¤¦à¥Œà¤°à¥€ की ज़िनà¥à¤¦à¤—ी के वरक़ पलटे जायें, जाना जाये कि इस फ़नकार के यहाठक़लंदरी का नज़ूल कैसे हà¥à¤†, और ये à¤à¥€ कि आम ख़ानदान में पैदा होने वाला ये ख़ास बंदा दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कैसे ‘राहत’ पहà¥à¤à¤šà¤¾ रहा है| राहत इनà¥à¤¦à¥Œà¤°à¥€ की ज़ाती ज़िनà¥à¤¦à¤—ी और मà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤°à¥‹à¤‚ की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के ‘राहत साहब’ से जà¥à¥œà¥‡ दिलचसà¥à¤ª कि़सà¥à¤¸à¥‡ किताब की शकà¥à¤² में अब आपके सामने हैं “क़लंदर
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