Qalam Ki Dawat

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Description

“काग़ज़ के घर, ये जो ‘क़लम की दावत’ है
लिखा वही जो दिल-दिमाग़ और देश की हालत है”
लेखक ख़ुद एक अभिनेता हैं और इनकी कविताएँ भी अभिनय की तरह हमारे सामने घटित होते हुए दिखती हैं। उपमाओं का प्रयोग, बिम्बों का समायोजन, भाषाओं में सहजता और इनके कविता कहने का अंदाज़ इतना मोहक है कि हर उम्र के पाठकों को अपना दोस्त बनाता है । इनकी कविताओं में कथा है, संवाद है, चरित्र हैं, और कुछ निर्जीव वस्तुएँ भी इंसानों की भूमिका जी रहे हैं । जिसमें राजनैतिक, सामाजिक जटिलताओं, आम आदमी की पीड़ा और साथ ही ज़मीनी मुद्दों पर लड़ने का तेवर भी है। इतना ही नहीं इस कविता संग्रह में सामाजिक बिषमताएँ, विडंबनाएँ, संवेदनाएँ और आपसी संघर्ष बहुत स्पष्ट रूप से दृश्यमान होते हुए महसूस होता है। मन-मिज़ाज से कलाकार आलोक रंजन की लेखनी में भला प्यार कैसे छूट सकता है ? ऐसे समझ लीजिए जैसे किसी ने आपके हिस्से की डायरी लिख दी हो, जिसमें कुछ सच है, कुछ यादें हैं, तो कुछ अनुपम और अनोखा एहसास है । उस प्यार का जो ज़िंदगी में अधूरा है मगर कविता में मुकम्मल । अपने व्यंग्यात्मक और संवेदनशील प्रवाह के रूप में ये कविता-संग्रह एक ऐसा चित्र खींचता है कि पढ़ने वाला उसमें खो जाता है। ‘क़लम की दावत’ ये किताब एक साथ कविता, गीत, ग़ज़ल और शे’र की सम्मिलित अनुभूति देती है।

Book Details

Weight 143 g
Dimensions 0.4 × 5.5 × 8.5 in
Edition

First

Language

Hindi

Binding

Paperback

Binding

Pages

114

ISBN

9789391531256

Publication Date

2022

Author

Alok Ranjan

Publisher

Anjuman Prakashan

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