Description
धरà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° यथारà¥à¤¥ और कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ को गूà¤à¤¥à¤•à¤° à¤à¤¸à¥€ अतिवासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ रचते हैं जो समाज में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ रूà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ और बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को खोलकर हमारे सामने रख देती है और हमें सोचने पर मजबूर कर देती है। à¤à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ अतिवासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ रचने के लिये धरà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° जादà¥à¤ˆ यथारà¥à¤¥ और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ फंतासी का उपयोग करने से à¤à¥€ नहीं हिचकिचाते। धरà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° अपनी रचनाओं में नये पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने के लिये जाने जाते हैं। इस उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ में à¤à¥€ धरà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° ने उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ शिलà¥à¤ª से हटकर à¤à¤• नया पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया है और पतà¥à¤° लेखन शैली में उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की रचना की है। इस उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• समूची पीà¥à¥€ के विदà¥à¤°à¥‹à¤¹, संघरà¥à¤·, असफलता, मोहà¤à¤‚ग और बदलते आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ की कथा पà¥à¤°à¥‡à¤® को पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• बनाकर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ की है।
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