Description
प्रेम जितना हर्ष है उतना ही संघर्ष भी।
प्रेम होना प्रकृतिस्थ है लेकिन उसका निर्वहन उतना ही दायित्वपूर्ण और गंभीर। कविताओं की साझा डायरी में प्रेम का ऐसा ही स्वरूप देखने को मिलता है, जो उल्लास और उत्साह के साथ ही एक-दूसरे के निजत्व का सम्मान करने, त्याग और ज़िम्मेदारी का अद्भुत संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है। इसमें क्रोध, खीज, आपसी अन-बन व भय को बिना किसी संकोच के संग्रहित किया है।