Description
बालू सिंह के सर पर तीन लोगों के खून का इलà¥à¤œà¤¾à¤® लगा था और वह जेल की सलाखों में कैद था। यह तीन लोग शहर शिवगॠके डॉन अलà¥à¤²à¤¾à¤‰à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ खिलजी के आदमी थे। अलà¥à¤²à¤¾à¤‰à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ खिलजी को जब मालूम हà¥à¤† तो उसनें बालू सिंह के पà¥à¤°à¥‡ परिवार को ही खतà¥à¤® कर डाला। बालू सिंह अपने परिवार के लोगों की चिता के सामने पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ करता है कि वह अलà¥à¤²à¤¾à¤‰à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ खिलजी को मार डालेगा। बालू सिंह जैसे साधारण वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अलà¥à¤²à¤¾à¤‰à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ को मारने की यह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ लोगों के लिठहासà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤ªà¤¦ थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वासà¥à¤¤à¤µ में यह समà¥à¤à¤µ नहीं था। बालू सिंह को फाà¤à¤¸à¥€ की सजा होना तय ही थी।
कैसे बालू सिंह जेल से निकल पाता है? कहानी में à¤à¤• वक़à¥à¤¤ à¤à¤¸à¤¾ आता है जब वह हार कर, थक चà¥à¤•à¤¾ होता है। अलà¥à¤²à¤¾à¤‰à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ को मारना तो दूर रहा वह खà¥à¤¦ à¤à¥€ जीना नहीं चाहता और इसी बीच उसकी मà¥à¤²à¤¾à¥˜à¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾ सहाय से होती है। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾ सहाय जिसकी अपनी ही à¤à¤• दरà¥à¤¦ à¤à¤°à¥€ कहानी है। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾ सहाय की कहानी सà¥à¤¨ बालू सिंह का हौसला बà¥à¤¤à¤¾ है। उसे अहसास होता है कि उसका दà¥à¤– पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾ सहाय के दà¥à¤– का आधा à¤à¥€ नहीं है लेकिन फिर à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾ सहाय जीवन से संघरà¥à¤· करने को ततà¥à¤ªà¤° है। वह पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾ सहाय के साथ हà¥à¤ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के खिलाफ खड़ा हो उसे नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ दिलाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करता है। और इसी बीच दोनों के मन में à¤à¤• दूसरे लिठपà¥à¤°à¥‡à¤® उपजता है लेकिन बालू सिंह इसे नज़र अंदाज कर मà¥à¤‚बई ताकत हासिल करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से चल देता है।
कà¥à¤¯à¤¾ वह लौट पाया? और अलà¥à¤²à¤¾à¤‰à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ को मार पाने में सफल हो सका? और कà¥à¤¯à¤¾ फिर पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾ सहाय से जाकर अपने पà¥à¤°à¥‡à¤® का इजहार कर पाया या पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾ और बालू सिंह की पà¥à¤°à¥‡à¤® कहानी à¤à¥€ अधूरी ही रह गई अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤® कहानियों की तरह!!
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