Description
‘खà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¶à¥‹à¤‚ और सपनों में फरà¥à¤•â€™, ‘धरà¥à¤® और अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® में फरà¥à¤•â€™, ‘पà¥à¤°à¥‡à¤® में होने और पà¥à¤°à¥‡à¤® के होने में फरà¥à¤•â€™ की बात करता यह उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸, ये सोचने पर मजबूर करता है कि जीवन जीते-जीते कब हम मरना सीख जाते हैं और जीवन से दूर होते चले जाते हैं। यह उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ हमें बताता है कि वापस लौटकर आने के लिठहमें खà¥à¤¦ के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤¾à¤à¤•à¤¨à¥‡ के अलावा और कोई विकलà¥à¤ª नहीं तलाशना चाहिà¤, सब कà¥à¤› इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ के अंतरà¥à¤®à¤¨ में ही है, वहीं मिलेगा। हमारी मदद हम खà¥à¤¦ कर सकते हैं और अगर इस काबिल हैं तो दूसरों को à¤à¥€ रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाया जा सकता है। तलाकशà¥à¤¦à¤¾ से पà¥à¤°à¥‡à¤®, बाल वैधवà¥à¤¯, बà¥à¥›à¥à¤°à¥à¤—ों की वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ दशा-दिशा, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के ख़à¥à¤µà¤¾à¤¬à¥‹à¤‚ का बिखराव, उनका खो जाना। वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ, जिसे निखारने का वादा इंसान को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ से करना चाहिà¤, किनà¥à¤¤à¥ जब यही सब बातें आरोप-पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤ª के रूप में जाहà¥à¤¨à¤µà¥€ पर ही à¤à¤¾à¤°à¥€ पड़ने लगती हैं, तब उसका खà¥à¤¦ से जूà¤à¤¨à¤¾ और इन सब से पार पाने का स़फर ही उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की आतà¥à¤®à¤¾ है। इंसान का दोहरा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° जब आइने के रूप में उसके सामने आकर उस पर लानत à¤à¥‡à¤œà¤¤à¤¾ है, तब उसे कà¥à¤¯à¤¾ करना चाहिà¤?
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