Description
“हैशटैग आशिकी” नाम से ज़ाहिर होता है कि इसके हर हिस्से में इश्क़ ही होगा| यह सोच पन्ना दर पन्ना धुंधली होती जाएगी| किताब में कहानियों के सभी स्वाद को रखा गया है| यह किताब हर एक के हिस्से का कुछ न कुछ समेटे हुए है| जब “हैशटैग आशिकी” के लिए कहानियों का चयन किया जा रहा था तो ख्याल रखा गया इसमें हर वह मसाला हो जो हमारी जुबान के हर स्वाद को उभार सके मगर क्या करें मिर्च कुछ ज्यादा ही हो गई| इसलिए आंसुओं का आना एक-आध जगह लाज़िमी है| इस किताब की कई कहानियों पर डाक्यूमेंट्री और फिल्म बनने के भी बीज बोए जा चुके हैं| जल्द ही वह भी सामने होगा| किताब की कुछ कहानियां जो इश्क़ से जुड़ी हैं वह इश्क में असफल होने पर भी सफल हैं| कुछ में लेखक ने हद दर्जे का आवारापन दिखाया है, लगता है कि कलम पकड़ कर इसे मिलवा ही दें| कोई कहानी सीधे मौजूदा हालत को चोट करती है तो कोई कहानी समाज के टूटते हुए ताने बाने को जोडती है| लेखक का प्रेम पर हद दर्जे का भरोसा है| उसे हर समस्या का हल प्रेम में ही दीखता है| इसलिए किताब में कुछ कहानी हमारे समाज की पुरानी आपसी प्रेम की बुनावट के टूटने पर मरहम रखती हैं तो कुछ खोखले होते इंसान के हलके होते वज़न को बतलाती हैं| लेखक का मानना है जो किताब हमें स्वाद न दे, जो किताब हमें रास्ता न दिखाए और जो किताब हमे सच से आंखे फेर लेने को कहे वह किताब ही कहाँ बस शब्दों का ढेर भर है| ”हैशटैग आशिकी” हर उस एहसास को छेड़ती है जिसे एक मासूम दिल चाहता है| दिल की हर हरकत की तरह इसमें ठहाके, आंसू, मुस्कुराहट, फ़िक्र और बिंदास आवारापन पिरोया हुआ है|
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