Description
उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के मऊ ज़िले के कदà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤° नेता और ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¥ राय को à¤à¥€ उस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया गया था। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® से पहले कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¥ राय पहलवान जी के यहाठनाशà¥à¤¤à¤¾ करने पहà¥à¤à¤š जाते हैं। सà¥à¤¬à¤¹ के नौ बज रहे थे। रेलवे कॉलोनी डेलà¥à¤¹à¤¾ में सायरन की आवाज़ के साथ गाड़ियों के क़ाफ़िले को देखकर लोग हैरत में थे। à¤à¤®à¤ªà¥€-à¤à¤®à¤à¤²à¤, मिनिसà¥à¤Ÿà¤° तो अकà¥à¤¸à¤° पहलवान जी के यहाठआया करते थे लेकिन केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ का आगमन पहली बार हो रहा था। मंतà¥à¤°à¥€ जी की कार à¤à¤• घर के सामने आकर रà¥à¤• जाती है। पहलवान जी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¥ राय को रिसीव कर घर के अंदर ले जाते हैं। नाशà¥à¤¤à¥‡ के साथ सामाजिक-राजनीतिक बातें होती है। चरà¥à¤šà¤¾ का बाज़ार गरà¥à¤® हो जाता है। विधायक-सांसद को à¤à¥€ यह बात पच नहीं रही थी। खà¥à¤¦ कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¥ राय के पीठने उनसे सवाल कर दिया था – “सर, à¤à¤• बात पूछें, आप मंतà¥à¤°à¥€, विधायक, सांसद के घर न जाकर à¤à¤• टीटीई के घर नाशà¥à¤¤à¤¾ करने कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ गठ?†केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ राय ने कहा- “सवाल तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ जायज़ है लेकिन तà¥à¤® वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ की हैसियत देखते हो और मैं à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की सियासत पर नज़र रखता हूà¤à¥¤ रविंदà¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤° कोई साधारण टीटीई नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¡ गोलà¥à¤¡à¤®à¥‡à¤¡à¤²à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ मशहूर पहलवान है और लोगों का चहेता à¤à¥€à¥¤ हो सकता है पारà¥à¤Ÿà¥€ इसपर अगला दाà¤à¤µ खेल जाà¤à¥¤â€ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® शà¥à¤°à¥‚ होनेवाला था। रामाशà¥à¤°à¤¯ बाबू और राम सिनà¥à¤¹à¤¾ à¤à¥€ पहà¥à¤à¤šà¥‡ हà¥à¤ थे। सबकी नज़रें पहलवान जी को खोज रही थी। वे मंच से थोड़ी दूर पर बैठे थे। रामाशà¥à¤°à¤¯ बाबू ने इशारा कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने पास बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ वे पहलवान के कंधे पर हाथ रखकर मंच तक पहà¥à¤à¤šà¥‡ थे। यह सब देखकर राम सिनà¥à¤¹à¤¾ को अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लग रहा था। à¤à¤°à¥€ सà¤à¤¾ में रामाशà¥à¤°à¤¯ बाबू ने पहलवान का परिचय कराते हà¥à¤ कहा- “पहलवान अब किसी à¤à¤• आदमी का नहीं बलà¥à¤•à¤¿ पूरे समाज का है।â€
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