Description
पिछले 15 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में देश की हिनà¥à¤¦à¥‚ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤•à¤¤à¤¾ को बड़ा आघात लगा है, जो ज़खà¥à¤® 15 अगसà¥à¤¤ 1947 को à¤à¤° गठथे, वो जखà¥à¤® फिर से हरे हो गठऔर देश मे चारो तरफ धारà¥à¤®à¤¿à¤• उनà¥à¤®à¤¾à¤¦ पैदा हà¥à¤†à¥¤ गांधी जिसने अपना पूरा जीवन दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ में ही नही à¤à¤¾à¤°à¤¤ के 75 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में देश का à¤à¤• à¤à¤• गांव, à¤à¤• à¤à¤• शहर वो गठहै और अहिंसा, शांति इसको फैलाने का काम किया है। इन बीते वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में देश मे सैकड़ो गांधीवादी संसà¥à¤¥à¤¾à¤ खड़ी हà¥à¤ˆ, पनपी लेकिन उन संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में अब दीमक लगने लगी है और गांधी पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ चिनà¥à¤¹ लगाठजाने लगे है। जिस गांधी को संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° संघ ने अपना नेता माना औऱ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ अमेरिका में हज़ारों गांधी की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ जिस नेता ने à¤à¥€ अपने देश को आज़ाद करवाने में अगà¥à¤°à¤¿à¤® à¤à¤¾à¤— अदा किया उसे गांधी के नाम से पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¾ जाने लगा। दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¨ गांधी, अमेरिकन गांधी लेकिन देश मे सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• सदà¥à¤à¤¾à¤µ की कमी आने लगी है औऱ दंगे à¤à¥œà¤• रहे है तब ये उचित है कि गांधी उनके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ, उनका परिवार, उनका जीवन इन सब पर नठसिरे से मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन होना चाहिà¤, बस यही à¤à¤• उदà¥à¤¦à¥‡à¤§à¥à¤¯ था कि मैंने इस किताब का लिखना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤† और इसकी à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿ गांधी जी की पोती तारा गांधी को à¤à¤¿à¤œà¤µà¤¾à¤ˆ, जिसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सामयिक माना।
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