Description
सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ मानता है व नियामक बनना चाहता है, इसी इचà¥à¤›à¤¾ के अंतरà¥à¤—त उसने सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने आधिपतà¥à¤¯ में ले लिया है, यह इचà¥à¤›à¤¾ समाज में आधिपतà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठउसे सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने के लिठराजà¥à¤¯ व राजा की जनक बनी, इसी à¤à¤·à¤£à¤¾ के अंतरà¥à¤—त मनà¥à¤·à¥à¤¯ परिवार में à¤à¥€ आधिपतà¥à¤¯ चाहता है, परिवार का मà¥à¤–िया चाहता है कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सदसà¥à¤¯ उसके चà¥à¤¨à¥‡ हà¥à¤ मारà¥à¤— पर ही चले, इस à¤à¤·à¤£à¤¾ की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठवह शेष की à¤à¤·à¤£à¤¾à¤“ं की आहà¥à¤¤à¤¿ देना चाहता है जो कà¥à¤‚ठायें तो उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करती ही है, उनकी सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ को à¤à¥€ कà¥à¤‚द करता है, अनिचà¥à¤›à¤¾ से किठगठकारà¥à¤¯ कà¤à¥€ सफलता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ नहीं करते, इससे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त हानि तो होती ही है, समाज की à¤à¥€ हानि होती है, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤• इकाई है और उसकी सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ व इचà¥à¤›à¤¾ का मान रख कर यदि सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जाठतो आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• परिणाम सामने आ सकते हैं, इसी विषय पर आधारित है “à¤à¤• और सफर” उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸, गà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ / गà¥à¤²à¤¶à¤¨ के पिता की इचà¥à¤›à¤¾ है गà¥à¤²à¤¶à¤¨ डॉकà¥à¤Ÿà¤° या इंजीनियर या आई ठà¤à¤¸ बने या फिर अपने पैतृक बागीचों को समà¥à¤à¤¾à¤²à¥‡, लेकिन उसका मन नाटक इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ में है और वह सिनेमा में जाना चाहता है, दोनों के अहंकार की टकà¥à¤•à¤° में गà¥à¤²à¤¶à¤¨ घर से à¤à¤¾à¤— कर नये रासà¥à¤¤à¥‡ नये मंज़िल की खोज में निकलता है, à¤à¤• दूसरा लड़का किसी और कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से गरीबी का हल खोजने के लिठशहर का रà¥à¤– करता है, यह उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ इनके संघरà¥à¤· और, à¤à¤• और सफर की कहानी है, सà¥à¤§à¥€à¤œà¤¨ इसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर अपना आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ देंगे à¤à¤¸à¥€ आशा है, इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के अंतरà¥à¤—त यह उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ आप सà¤à¥€ पाठकों को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है, हारà¥à¤¦à¤¿à¤• आà¤à¤¾à¤° व शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤.
जयनारायण कशà¥à¤¯à¤ª.
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