Description
भौंकगढ़ इस उथल पुथल के समय में उन विभाजनकारी शक्तियों को समझने की कोशिश है जो निजी
हित के लिए समाज की भलाई के नाम पर समाज को ‘हम’ और ‘तुम’ में बाट देते हैं | ये उपन्यास
मष्तिष्क का दरवाज़ा खटखटाता हुआ हमारी चेतना जगाने का एक छोटा सा प्रयास है |
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सेठ गुरुरमल दागी मंत्री थे, परन्तु सफ़ेद कपड़े पहनते थे; ज़मीनी नेता थे, मगर मिट्टी पर पैर नही
रखते थे; आँखे कमज़ोर थी, परन्तु दूरदर्शी माने जाते थे; अनपढ़ थे, परन्तु शिक्षा मंत्री थे; स्वास्थ्य
ख़राब था, मगर स्वास्थ्य मंत्री भी थे |
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