Bandar

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Description

एक बच्चा जो दोपहरी के सन्नाटे में चबूतरे पर बैठ ढेर सारे सवालों को बुनता और उनके हल ढूँढ़ने के लिए पतंग के पीछे-पीछे भागता जहाँ से उसे सिरा मिल जाता उस डोर का जो उसे अपने दिमाग़ के ब्लैक होल में ले चले, उन सिरों को सुलझाते हुए वह बंदर बन जाता तो कभी नाँव पर बैठ दूसरी दुनिया में चला जाता जहाँ उसे काले अक्षर भैंस बराबर नहीं लगते, जहाँ वो गुल्ली डंडा खेलता लेकिन गुल्ली के पेड़ में अटक जाने पर वो अपने अघोषित दोस्त को बुलाता बिना उसे आवाज़ लगाए वो दोस्त झटपट दौड़ता हुआ आता गुल्ली निकाल वो उसे बाबा से मिलने के लिए ले जाता, लेकिन वो डर के मारे चूहा बन वहाँ से भाग खड़ा होता और जंगल भाग जाता। जंगल में बंदर की चालाकी देख वो गधे के काँधे पर बैठ असली भेड़ों के शहर आ जाता जहाँ वो एक घर की दोछत्ती को अपना घर बनाता जिसकी छत से रात को ओरियन स्टार्स दिखते। लेकिन बाबा के कहीं खो जाने की वजह से वो घोड़े की तरह दौड़ता हुआ ब्लैक होल में घुस जाता और सुकून से दोपहरी के सन्नाटे की सायँ-सायँ को सुनता तारों में उलझे माँझें को देख।

Book Details

Weight 160 g
Dimensions 0.4 × 5.5 × 8.5 in
Edition

First

ISBN

9789390944132

Pages

128

Binding

Paperback

Binding

Language

Hindi

Author

Faizan Khan

Publisher

Redgrab Books

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