Description
रातिउ-दिन बराबर साहितà¥à¤¯ के सेबा मा मन से लगन लगाà¤, निकहा के जनबहा कबि – कमलापति ‘गौतम कमल ‘ दà¥à¤†à¤°à¤¾ लिखी गइ ‘बघेली छंद बिधान’ अपने घूà¤à¤Ÿà¥€ केर à¤à¤¾à¤–ा बघेली मा अकूत जनबही के बà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤¨à¤¿à¤• किताबि बनी हइ।’बघेली छनà¥à¤¦ बिधान’ माहीं अपने लोकà¤à¤¾à¤–ा केर महकि हइ। ई अबय तक के काम से आनमेर है। लोकà¤à¤¾à¤–ा केर रंग बहà¥à¤¤ गाॠअउ चटक होत है। à¤à¤• बेरकी रंगान त रंगान।हरबी त नहिन छूटय। लोक सबदिनहूठकलà¥à¤¯à¤¾à¤¨ सोचत है। लोकà¤à¤¾à¤–ा केर साहितà¥à¤¯ सोचे केर कम आà¤à¤–ी के दीख अउ काने के सà¥à¤¨à¤¾ रहत हय।जउन गाबा गा उआ जिनà¥à¤¦à¤—ी के राग आय।लोकà¤à¤¾à¤–ा केर साहितà¥à¤¯ छनà¥à¤¦ केर साहितà¥à¤¯ रहा है अउ अबहिनउ है।लोकà¤à¤¾à¤–ा त थिरान पानी कस साफ- साफ रहत ही, उहयमेर ओकर सिरजन रहत है। बघेली मा कबिता, कहानी, नाटक, उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸, उखान आदि का लइ के काम à¤à¤¾ हय अउ होत लाग है, पइ छनà¥à¤¦ केर काम इया पहिल काम आय। बहà¥à¤¤ दूर तक ” बघेली छनà¥à¤¦ बिधान ” के बाति होई। à¤à¤‚ह छनà¥à¤¦ बिधान की किताबि माहीं, मातरिक अउर वरनिक 300 से अधिक छनà¥à¤¦à¤¨ केर जनबहई बिधान बताइक निजी उदाहरनन से सजाबा ग हबइ। 300 से अधिक पृषà¥à¤ न की à¤à¤‚ह किताबि मा बघेली बोली माहीं कमला पति गौतम केर पसीना गारे क फल साफ साफ देखात लाग हइ। कृति का डा0 विकास दबे जी निदेशक साहितà¥à¤¯ अकादमी मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के सहित 6 अउर नामचीन साहितà¥à¤¯ बिदà¥à¤†à¤¨à¤¨ केर सà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾ संदेश हबइ।
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