Description
विमला जी का रचना करà¥à¤® अंतरातà¥à¤®à¤¾ की गहराइयों से पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ होता है। यह रचनाà¤à¤ हमें जीवन के उस आनंद से परिचित करवाती हैं जो पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¥à¤® लालसा होता है। उनका लेखन à¤à¤• और जहाठमहादेवी जी की छायावादी कावà¥à¤¯ परंपरा का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करते नजर आता है तो दूसरी ओर पà¥à¤°à¥‡à¤® और शृंगार के अतà¥à¤¯à¤‚त सहज, सरल और सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ निरà¥à¤à¤° की कल-कल सा यह कावà¥à¤¯ सृजन मनà¥à¤·à¥à¤¯ हृदय को à¤à¤• अलग पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का आनंद देने में सकà¥à¤·à¤® है। यह आनंद कब परम आनंद की अनà¥à¤à¥‚ति देते हà¥à¤ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ सतà¥à¤¤à¤¾ से मिलन का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• बनकर उà¤à¤° आता है पता ही नहीं चलता। गहरे चिंतन के अनà¥à¤à¥à¤¤ कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में à¤à¤• सà¥à¤¤à¤° à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ आता है जब हम à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• देह से अनायास दिवà¥à¤¯ चेतना में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ होने लगते हैं। संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ उसी अवसà¥à¤¥à¤¾ से पà¥à¤°à¤•à¤Ÿà¥€ रचनाओं का à¤à¤• सà¥à¤‚दर गà¥à¤²à¤¦à¤¸à¥à¤¤à¤¾ है डॉ. विमला वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ का पà¥à¤°à¤¥à¤® कावà¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹, ‘अनहद बाजे (वीणा मन की)’ जो डॉ. विमला वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पिपासॠमन की à¤à¤• सà¥à¤‚दर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ बनकर उà¤à¤°à¥€ है। à¤à¤• जेषà¥à¤ अनà¥à¤à¥‚ति की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ कृति के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ हेतॠमैं आदरणीया विमला वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी को हृदय से शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤ और बधाई देता हूं।
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